नीतीश कुमार को कांग्रेस का 'ऑफर', BJP से नाता तोड़ फिर से बनाएं महागठबंधन
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नीतीश कुमार को कांग्रेस का 'ऑफर', BJP से नाता तोड़ फिर से बनाएं महागठबंधन

बिहार के भागलपुर और नवादा जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा का असर राज्य की राजनीति पर भी पड़ता दिख रहा है. एक तरफ जहां मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) मुखर होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिए हुए है, वहीं दंगों के बहाने कांग्रेस नई राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश में जुट गई है.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार को BJP से अलग होने की सलाह दी है. फाइल तस्वीर - PTI

पटना: बिहार के भागलपुर और नवादा जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा का असर राज्य की राजनीति पर भी पड़ता दिख रहा है. एक तरफ जहां मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) मुखर होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिए हुए है, वहीं दंगों के बहाने कांग्रेस नई राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश में जुट गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस चाहती है कि वह एक बार फिर से नीतीश कुमार को अपने पाले में ले आए. इसके लिए कांग्रेस के आला नेताओं ने शुक्रवार को नीतीश कुमार के सामने दबी जुबान में ऑफर भी कर दिया है.

  1. बिहार में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के सहारे महागठबंधन को दोबारा जीवित करना चाहती है कांग्रेस
  2. कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने दंगे के आधार पर नीतीश कुमार को BJP से गठबंधन तोड़ने का कहा
  3. भागलपुर दंगे में बीजेपी के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत हैं आरोपी

भागलपुर दंगों में बीजेपी वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को आरोपी बनाए जाने के बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं होने के चलते विपक्ष सीएम नीतीश पर हमलावर है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार हमले कर रहे हैं कि राज्य का लॉ एंड ऑर्डर सीएम नीतीश के हाथ में होने के बावजूद दंगा आरोपियों के खिलाफ सख्ती नहीं बरती जा रही है. आरोप है कि सीएम नीतीश राजनीतिक दबाव में बीजेपी के आरोपी नेताओं के खिलाफ एक्शन लेने में झिझक रहे हैं. 

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कांग्रेस का ऑफर महागठबंधन में शामिल हो जाएं नीतीश
इन्हीं आरोपों के बीच कांग्रेस ने सीएम नीतीश कुमार के सामने दांव फेंका है कि वह इसी आधार पर बीजेपी से नाता तोड़ लें, क्योंकि उनकी छवि धर्मनिरपेक्ष नेता की रही है. जबकि उनके सहयोगी बीजेपी पर सांप्रदायिक हिंसा के आरोप लग रहे हैं.

बिहार कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी और आरजेडी के विधान पार्षद संजय प्रसाद के बाद अब कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार के हित में सोचने और बीजेपी का साथ छोड़ने की सलाह दी है. 

सदानंद सिंह ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में बीजेपी-आरएसएस को सत्ता के दुरुपयोग से रोकना आवश्यक है. इसके लिए महागठबंधन का पुनर्गठन आवश्यक हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि सियासी मजबूरी की वजह से नीतीश कुमार दंगा के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. 

भागलपुर के आरोपी बीजेपी नेता गिरफ्तार नहीं हो पा रहे हैं. औरंगाबाद में गिरफ्तार नेता फरार हो जा रहे हैं. ऐसा होना प्रदेश की सेहत के लिए ठीक नहीं है. ऐसा होने से एक ओर जहां सरकार की नकारात्मक छवि बनती है. बिहार में सांप्रदायिक तनाव की लपटें धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं. प्रदेश को दंगे की आग में जलाकर इसका विकास नहीं किया जा सकता है. शांति सद्भाव और कानून व्यवस्था किसी शासन की पहली प्राथमिकता होती है. उन्होंने नीतीश कुमार से अपील की है कि वे सरकार के मुखिया होने के नाते समय की मांग के अनुरूप पूर्व के निर्णय पर पुनर्विचार करें.

मालूम हो कि साल 2015 में कांग्रेस, आरजेडी और जदयू ने मिलकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जिसमें इस महागठबंधन को दो तिहाही बहुमत मिला था. हालांकि करीब दो साल सरकार चलने के बाद नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए थे. तब से नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रहे हैं.

भागलपुर के बाद नवादा में भड़की हिंसा

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बिहार में हुई सांप्रदायिक हिंसा की एक और घटना में आज जिले में कई वाहनों में तोड़ फोड़ किया गया और एक होटल में आगजनी की गयी. एक मूर्ति को क्षतिग्रस्त करने की खबरें आने के बाद दो समुदायों के लोगों में संघर्ष हुआ. जिला मजिस्ट्रेट( डीएम) कौशल कुमार ने कहा कि टाउन पुलिस थाना क्षेत्र के गोदापुर गांव में क्षतिग्रस्त मूर्ति पाए जाने के बाद दो समुदायों के लोगों ने एक दूसरे पर भीषण पत्थरबाजी की. उन्होंने बताया कि आक्रोशित भीड़ ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर उत्पात मचाया, वाहनों पर पत्थरबाजी की और कई वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए. भीड़ ने एक होटल में भी आग लगा दी.

पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए हवा में10 गोलियां चलायीं. भीड़ ने कथित रूप से कुछ स्थानीय पत्रकारों के साथ मारपीट भी की जो घटना को कवर करने के लिए वहां पहुंचे थे. जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि स्थिति पर काबू पा लिया गया है, हालांकि इलाके में तनाव बना हुआ है और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. उन्होंने बताया कि मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

इससे पहले गत 17 मार्च को भागलपुर में हिंसा हुई थी जहां केंद्रीय मंत्री अश्चिनी कुमार चौबे के बेटे अरिजीत शाश्वत के नेतृत्व में एक धार्मिक जुलूस निकाला गया था.