बिहार: ढाई दिन से भूख-प्यास से तड़प रहे थे बुजुर्ग दंपत्ति, पुलिस ने किया कुछ ऐसा...
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बिहार: ढाई दिन से भूख-प्यास से तड़प रहे थे बुजुर्ग दंपत्ति, पुलिस ने किया कुछ ऐसा...

90 साल के कानन बिहारी भौमिक और 85 साल की उनकी पत्नी बोलते-बोलते भावुक हो जाते हैं. कंकड़बाग पुलिस को आशीर्वाद देते हैं, फरिश्ता बताते हैं और हाथ जोड़ लेते हैं. यह सब अनायास ही नहीं है बल्कि उस दौर में हो रहा है जहां आज आपसी रिश्ते बेमानी हो गए हैं, उनकी डोर ढीली पड़ चुकी है. ऐसे में कंकड़बाग पुलिस ने कुछ काम किया है, जिस पर पूरे महकमे को गर्व होगा.

पुलिस और आर्मी कई अन्य जगहों पर भी मदद के लिए आगे आई है. (फाइल फोटो)

पटना: कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से हुए लॉकडाउन (Lockdown) ने बहुत चीजों को बदल दिया है. कुछ खराब हैं, तो कुछ अच्छा भी हो रहा है. आमतौर पर समाज में पुलिस का नाम आते ही नेगेटिव विचार आते हैं, लेकिन हम पुलिसवालों का ऐसा रूप बताते हैं जो एक बेटे और मददगार के रूप में सामने आया है. पुलिसवाले ऐसे मसीहा के तौर पर सामने आए हैं कि बुजुर्गों के आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े.

दरअसल, 90 साल के कानन बिहारी भौमिक और 85 साल की उनकी पत्नी बोलते-बोलते भावुक हो जाते हैं. कंकड़बाग पुलिस को आशीर्वाद देते हैं, फरिश्ता बताते हैं और हाथ जोड़ लेते हैं. यह सब अनायास ही नहीं है बल्कि उस दौर में हो रहा है जहां आज आपसी रिश्ते बेमानी हो गए हैं, उनकी डोर ढीली पड़ चुकी है. ऐसे में कंकड़बाग पुलिस ने कुछ काम किया है, जिस पर पूरे महकमें को गर्व होगा.

बता दें कि कानन बिहारी भौमिक नौसेना में काम करते थे. पिता का साया सर से उठा, तो बहन और भाई की जिम्मेदारी सर पर आ गई. इसकी वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी और प्राइवेट जॉब करके भाई और बहन को पढ़ाया. भाई बैंक में अधिकारी बन गया और बहन की शादी हो गई. दो बेटे और एक बेटी हुई, उसको भी पढ़ाया. बेटी की शादी कर दी, जबकि बेटों ने पढ़कर नौकरी की और शादी करके अलग हो गए.

वहीं, बेटी पटना के मलाही पकड़ी में रहती है, तो बेटे भी पटना में रहते हैं. बड़े बेटे ने 15 साल से संपर्क नहीं किया है, जबकि छोटा बेटा कभी-कभी आता है, लेकिन कुछ मिनट रहने के बाद चला जाता है. साथ ही किसी तरह की मदद भी नहीं करता है. वहीं, कानन और उनकी पत्नी एस्बेस्टस से शेड में रहते हैं. पत्नी ट्यूशन पढ़ाती है, जिससे परिवार चलता है.

इधर, कोरोना वायरस के संक्रमण से लॉकडाउन हुआ, तो घर में जो सामान था, उससे कुछ दिन तक काम चला, लेकिन इसी बीच गैस खत्म हो गई और राशन भी नहीं रहा, तो कानन पत्नी के साथ भूखे सोने लगे. ढाई दिन तक भूखे रहे, तब सब्र ने जवाब देना शुरू कर दिया. इसी बीच, उन्हें सूचना मिली कि पुलिस की ओर से बुजुर्गों को मदद की जा रही है, तो उन्होंने कंकड़बाग थाने में फोन लगा दिया और थानाध्यक्ष मनोरंजन भारती से बात की.

इसके बाद कंकड़बाग थाने की ओर से मदद पहुंची, तो कानन बिहारी और उनकी पत्नी की आंखें भर आईं. थानाध्यक्ष को आशीर्वाद देने लगे, कहने लगे कि हमारे बेटे काम नहीं आए, लेकिन पुलिस ने हमारे बेटे का फर्ज निभाया है, ये फरिश्ते से कम नहीं हैं.

वहीं, जब जरूरत के समय बेटों और परिजनों ने मदद नहीं की तो उन्हें अफसोस जरूर हुआ, लेकिन बुजुर्ग दंपत्ति के दिल से अब भी बच्चों के लिए दुआ ही निकल रही है. वह मदद नहीं मिलने को अपने पूर्व जन्म के कर्मों का फल बताते हैं.

कानन बिहारी की मदद को कंकड़बाग थाने की पुलिस अपने लिए उपलब्धि मानती है. वहीं, थानेदार मनोरंजन भारती ने कहा कि हम जब तक थाने में रहेंगे, तब तक ये हमारे लिए माता-पिता हैं. हम हर तरह और हर समय मदद के लिए मौजूद रहेंगे.

इधर, कंकड़बाग थाने में काम करने वाले सिपाही कहते हैं कि दस साल नौकरी करते हो गया, ऐसा कभी पहले नहीं देखा, हम लोगों की ओर से भी जो मदद हो सकेगी, हम करते रहेंगे. ये हमारे लिए सौभाग्य से कम नहीं है. बता दें कि पुलिस की इस सेवा के पीछे आईजी संजय सिंह की सोच है.