बरियातू दुष्कर्म मामले में अदालत ने सुनाया अंतिम फैसला, दोषियों को दी उम्रकैद की सजा
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बरियातू दुष्कर्म मामले में अदालत ने सुनाया अंतिम फैसला, दोषियों को दी उम्रकैद की सजा

अदालत ने 31 अगस्त को रांची के बरियातू में नाबालिग के साथ किए गए दुष्कर्म के मामले में सजा का फैसला सुनाया. बरियातू के फायरिंग रेंज में नाबालिग के साथ दोनों दोषी करार दिए गए अभियुक्त सरफराज अंसारी और खुर्शीद अंसारी ने रेप किया था.

बरियातू नाबालिग रेप केस के मामले में अदालत ने दोषियों को सुनाई उम्रकैद की सजा.

रांची: झारखंड की राजधानी के बरियातू दुष्कर्म मामले में अदालत ने दोषी करार दिए गए अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोनों अभियुक्त सरफराज अंसारी और खुर्शीद अंसारी को उम्र कैद की सजा दी गई है.

अदालत ने 31 अगस्त को रांची के बरियातू में नाबालिग के साथ किए गए दुष्कर्म के मामले में सजा का फैसला सुनाया. बरियातू के फायरिंग रेंज में नाबालिग के साथ दोनों दोषी करार दिए गए अभियुक्त सरफराज अंसारी और खुर्शीद अंसारी ने रेप किया था.

इसके बाद से ही लगातार सुनवाई चली और उन्हें दोषी करार दिया गया. अदालत ने सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रखा था. शनिवार को भारतीय दण्ड संहित की धारा 376 डी और पॉक्सो एक्ट के कानूनों के तहत दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई. 

इससे पहले 12 फरवरी को मामले की सुनवाई के बाद दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया था. सजा के बिंदु पर आज फैसला होना था. मामले में स्पीडी ट्रायल के माध्यम से पूरी सुनवाई की गई है.

घटना 31 अगस्त 2019 की है जब एक मासूम की अजमत को दो लोगों ने तार-तार किया था. दरअसल, घटना के दिन बरियातू फायरिंग रेंज पहाड़ में नाबालिग युवती अपने दोस्तों के साथ फोटो खिंचवाने गई थी इस दौरान आरोपियों द्वारा उसे बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था.

मामले की जानकारी देते हुए विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि अभियंजन पक्ष की तरफ से 12 और बचाव पक्ष की तरफ से 3 गवाहों की गवाही हुई और गवाहों और सबूतों के आधार पर दोनों को दोषी करार दिया गया.

मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने अभियुक्तों के शादीशुदा होने का हवाला देते हुए उन्हें कम सजा देने की मांग की थी जबकि अभियोजन पक्ष ने इस घिनौनी हरकत के लिए अदालत से उन्हें सख्त सजा दिए जाने की मांग की.

इस पर अदालत ने भी कहा कि यह जघन्य अपराध है और इस मामले पर रहम नहीं बरती जानी चाहिए ताकि यह फैसला ऐसे लोगों के लिए एक संदेश देने का काम करे.