न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि शराबबंदी कानून में जब्त गाड़ी को नीलाम करने के लिए जल्दबाजी की गई. प्रशासन की ओर से कानूनी प्रावधानों को देखे बिना ही गाड़ी को नीलाम कर दिया गया.
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Patna High Court News: बिहार में शराबबंदी कानून लगातार हमेशा से ही सवालों के घेरे में रहा है. सरकार के कई साथी दल भी इस कानून की आलोचना करते रहते हैं. इस सबके बीच पटना हाईकोर्ट ने इस सवाल के दुरुपयोग को लेकर बेगूसराय के डीएम को कड़ी फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने शराबबंदी के प्रावधानों को नजरअंदाज करने पर बेगूसराय डीएम को कई कड़े निर्देश दिए हैं.
न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि शराबबंदी कानून में जब्त गाड़ी को नीलाम करने के लिए जल्दबाजी की गई. प्रशासन की ओर से कानूनी प्रावधानों को देखे बिना ही गाड़ी को नीलाम कर दिया गया. हाई कोर्ट ने कहा कि गाड़ी नीलाम किया जाना संदेह के घेरे में है. ऐसा करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
बेगूसराय डीएम पर लगाया जुर्माना
हाईकोर्ट ने जल्दबाजी में वाहन नीलाम कर बेचने पर बेगूसराय डीएम को एकमुश्त 50 हजार रुपये देने का आदेश भी दिया है. समय से भुगतान नहीं करने पर 12% सालाना ब्याज दर भी देना होगा. इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने डीएम को उस व्यक्ति का भी पता लगाने को कहा है, जिसे लाभ देने लिए जल्दबाजी में कार की नीलामी की गई थी. कोर्ट ने आदेश दिया कि यह पता लगाया जाए कि क्या किसी व्यक्ति को लाभ देने के लिए नई गाड़ियों की नीलामी की गई थी.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि जिस कार को नीलाम किया गया था, पुलिस ने उसे शराबबंदी कानून के तहत जब्त किया था. पुलिस का कहना था कि कार में दारू पार्टी चल रही थी. कार के अंदर से 375 मिली शराब के अलावा 5 गिलास, एक पैकेट सिगरेट, दो माचिस के डिब्बे, एक नमकीन का पैकेट और कुछ गुटखा के पैकेट जब्त किए गए थे. पुलिस ने कार के साथ 7 लोगों को भी गिरफ्तार किया था. कार को जब्त करके नीलामी प्रकरण में डाल दिया गया था.
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सवालों के घेरे में शराबबंदी कानून
शराबबंदी के इतने सख्त कानून के बाद भी प्रदेश में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की खबरें सामने आती रहती हैं, जो इस कानून की असफलता को साबित करती हैं. इसके अलावा जेलों में कैदियों की भीड़ भी बढ़ती जा रही है. जिसमें कानून के दुरुपयोग की भी संभावनाएं नजर आती हैं. सरकार के कई साथी दल भी इन संभावनाओं को उठाते रहते हैं.