Shocking: 37 सालों में भी नहीं पूरा हो पाया केशो जलाशय का निर्माण, 23 गांव को होता फायदा
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Shocking: 37 सालों में भी नहीं पूरा हो पाया केशो जलाशय का निर्माण, 23 गांव को होता फायदा

37 साल बाद भी योजना का काम पूरा नहीं हो पाया है. वहीं, परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा भी लोगों को नहीं मिल पाया है.

37 सालों में भी नहीं पूरा हो पाया केशो जलाशय का निर्माण. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Koderma: कोडरमा के 23 गांवों में सिंचाई की सुविधा बहाल करने के लिए शुरू की गई केशो जलाशय परियोजना का काम अब भी अधूरा है. 37 साल बाद भी योजना का काम पूरा नहीं हो पाया है. वहीं, परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा भी लोगों को नहीं मिल पाया है.

बता दें कि 1984 में एकीकृत बिहार के दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह ने कोडरमा के मरकच्चो प्रखंड में केशो जलाशय परियोजना और पंचखेरो जलाशय परियोजना की आधारशिला रखी थी. पंचखेरो जलाशय परियोजना का काम तकरीबन 8 साल पहले पूरा हो गया था. इससे कोडरमा और गिरिडीह के 80 गांवों में लोगों को पटवन की सुविधा मिल रही है.

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वहीं, 37 साल बाद भी केशो जलाशय परियोजना का काम अधूरा पड़ा हुआ है. आज भी केशो नदी के किनारे रहने वाले लोग पूरी तरह से खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं. 1984 से लेकर अब तक कई बार परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ और कई बार बंद हुआ. इस दौरान अलग-अलग निर्माण कंपनियों ने थोड़ा-थोड़ा निर्माण कार्य करवाया इसके बावजूद परियोजना अधूरी पड़ी हुई है.

23 गांवों को राहत पहुंचाने का टारगेट-
1984 में एकीकृत बिहार में जब इस योजना का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था तो कुल लागत 7 करोड़ बताई गई थी. फिलहाल इस योजना की कुल लागत 119 करोड़ रुपए स्वीकृत है. इस परियोजना के जरिए केशो नदी के पानी को डैम में संग्रहित कर उसे पटवन के लिए इस्तेमाल करना था. इससे आसपास के 23 गांवों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था.

हालांकि, मामला संज्ञान में आने के बाद उपायुक्त आदित्य रंजन ने कहा है कि राज्य सरकार को इस बाबत पत्र लिखा जाएगा. उन्होंने लोगों को मुआवजा दिलाने का भरोसा दिलाया, साथ ही योजना को फिर से शुरू किए जाने की भी बात कही.

(इनपुट- गजेंद्र)

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