पाकुड़ में साइबेरियन पक्षियों ने हिरणपुर थाने में बनाया 'आशियाना', परिसर हुआ गुलजार
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पाकुड़ में साइबेरियन पक्षियों ने हिरणपुर थाने में बनाया 'आशियाना', परिसर हुआ गुलजार

​पाकुड़ में इन दिनों साइबेरियन पक्षियों ने अपना आशियाना बना लिया है. हिरणपुर थाना परिसर के हर पेड़ पर इन पक्षियों ने अपना घोसला बना लिया है. 

 साइबेरियन पक्षियों को मिला आशियाना (फाइल फोटो)

Pakur: ​पाकुड़ में इन दिनों साइबेरियन पक्षियों ने अपना आशियाना बना लिया है. हिरणपुर थाना परिसर के हर पेड़ पर इन पक्षियों ने अपना घोसला बना लिया है, जिस वजह से पूरा थाना गुलजार है. पक्षियों के कलरव से पूरे परिसर में रौनक है और पुलिसकर्मी भी इन पक्षियों के देखकर आनंदित हो रहे हैं. 

हिरणपुर थाने में बनाया आशियाना

हिरणपुर थाने के एसआई पुनीत कुमार गौतम के अनुसार साइबेरियन पक्षी हर साल यहां आते हैं और खुद के बनाए घोंसले में ही रहते हैं. साइबेरियन पक्षी भोजन के लिए नदी के किनारे स्थित घोंघा, छोटी-छोटी मछली समेत बाकी चीजों पर निर्भर होते हैं. ये पक्षी हजारों की संख्या में हर साल पाकुड़ पहुंचते हैं और थाने में अपना रैन बसेरा बनाकर रहते हैं. 

उन्होंने आगे बताया कि हर साल अप्रैल माह से इन साइबेरियन पक्षियों का आना शुरू हो जाता है और प्रजनन के बाद नवंबर-दिसंबर के महीने तक ये पक्षी यहां से प्रस्थान करते हैं. हिरणपुर थाना में तैनात पुलिसकर्मी भीम कुमार रजक कहते हैं कि पक्षियों बहुत गंदगी मचाते हैं, लेकिन पक्षियों के आने से थाने में रौनक रहती है.

हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके आते हैं पक्षी

ये पक्षी रूस के साइबेरिया इलाके से आते हैं इसलिए इन्हें साइबेरियन पक्षी कहते हैं. साइबेरियन ऐसे पक्षी हैं जो हवा में उड़ते हैं और पानी में भी तैरते हैं. दरअसल, साइबेरिया बहुत ही ठंडी जगह है. इस तरह के तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना बहुत मुश्किल हो जाता है इसीलिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके भारत आते हैं. 

इन साइबेरियन पक्षियों का सफर इतना आसान नहीं होता है, रास्ते में बहुत सारी मुश्किलें आती हैं. आंधी, तूफान और तेज हवाओं से कई पक्षी अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं, लेकिन फिर भी हर साल भयानक ठंड से भागते हुए वो भारत की ओर सफर जारी रखते हैं. 

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कई देश की सरहद पार करते हैं पक्षी

वन विभाग के रेंजर कमलेश सिंह के मुताबिक साइबेरियन पक्षियों की सैकड़ों ऐसी प्रजातियां हैं, जो हर साल अपना घर छोड़कर दुनियाभर में पनाह पाती हैं. भारत आने के लिए ये पक्षी 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा सफर उड़कर पूरा करते हैं. ये पक्षी सबसे पहले महाराष्ट्र के बारामती पहुंचते हैं और फिर प्रयागराज में संगम तट पर भी पहुंचते हैं. पाकुड़ में भी ये पक्षी हर साल पहुंचते हैं, जहां मनमोहक नजारा देखने को मिलता है.

 

 

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