ट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बोकारो में एलपीजी बॉटलिंग प्लांट का शिलान्यास किया. साथ ही पीओएल टर्मिनल का भी शिलान्यास किया.
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बोकारोः भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान झारखंड पहुंचे थे. उन्होंने चाईबासा और बोकारो में खानों का निरीक्षण किया है. वहीं, उन्होंने बोकारो में एक प्रेस कॉफ्रेंस में कहा कि अमेरिका और चीन के झगड़े के कारण भारत का स्टील उद्योग चैलेंजिंग मोड में आ गया है. हमारी कोशिश है कि इस तरह के कठिन परिस्थिति में इसका डटकर मुकाबला किया जाए.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बोकारो में एलपीजी बॉटलिंग प्लांट का शिलान्यास किया. साथ ही पीओएल टर्मिनल का भी शिलान्यास किया. वर्तमान में झारखंड में 506 एलपीजी वितरक हैं. और यहां की एलपीजी की मांग दुर्गापुर और पटना के प्लांट से पूरी होती है. लेकिन बोकारो में बॉटलिंग प्लांट खुलने से यह निर्भरता खत्म हो जाएगी.
मंत्री ने कहा कि इस 160 मिलियन टन इस्पात की अतिरिक्त जरूरत को पूरा करने में उडीसा व झारखंड का अहम रोल होगा और इन्हीं दोनों राज्यों से 60 मिलियन टन इस्पात की अतिरिक्त जरूरत पूरी होगी. उन्होंने कहा कि सेल के आधुनिकीकरण पर 2006-07 में किए गए 70 हजार करोड़ का लाभ सेल को बहुत नहीं मिला.
यह सवाल किए जाने पर कि क्या आधुनिकीकरण पर खर्च किया गया पैसा पानी में बह गया तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि ऐसा नहीं हुआ, हमलोगों ने बांध-बांध कर उसे रोकने का प्रयास किया है. उनकी मानें तो सेल अभी 46 हजार करोड़ का वित्तीय संकट में हैं. मंत्री ने जहां वैल्यूएडेड स्टील का उत्पादन पर जोर दिया. वहीं, बोकारो में स्टील कलस्टर बनाने की जरूरत पर भी बल दिया.
मंत्री ने कहा कि जब तक देश का पूर्वी भारत मजबूत नहीं होगा देश मजबूत नहीं होगा. उनकी मानें तो पूर्वी भारत में कई तरह के संसाधन हैं. मानव संसाधन के तौर पर युवा शक्ति मौजूद हैं. उकनी मानें तो पूर्वी भरत की काफी अहमियत है और भारत सरकार का पूरा ध्यान पूर्वी भारत पर है. यहां विकास के प्रचुर संभावनाएं हैं.
तेल व गैस की चर्चा किए जाने पर मंत्री ने कहा कि अभी देश विश्व में उर्जा खपत में तीसरे स्थान पर है और आनेवाले समय में देश विरूश्व का सबसे बड़ी उर्जा खपतवाला देश बन जायेगा. इसको देखते हुए सरकार ने गैस के कई संभावनाओं पर काम शुरू कर दिया है. सरकार कोयले से गैस बनाने, खाना बनाने के काम आनेवाले 2700 करोड़ लीटर तेल के बार बार के उपयोग को प्रतिबंधित करने व ऐसे तेल का उपयोग गैस बनाने में करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा कई तरह के कूड़े कचड़े से गैस बनाने का काम चल रहा है. पांच साल के अंदर देश में पांच हजार ऐसी गैस बनानेवाले प्लांट लग जायेंगे.