बिहार: दरभंगा में हाजिरी लगाकर निजी क्लिनिक चलाते हैं DMCH के डॉक्टर, हुआ बड़ा खुलासा
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बिहार: दरभंगा में हाजिरी लगाकर निजी क्लिनिक चलाते हैं DMCH के डॉक्टर, हुआ बड़ा खुलासा

दरभंगा डीएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग का है जहां मरीजों का अल्ट्रासाउंड होता है. वहां के विभागाध्य्क्षय डॉ संजय झा छुट्टी पर हैं और उनके चार्ज में डॉ दिलीप कुमार झा हैं, जो समय पर आकर अपनी हाजरी बना वहां से गायब हो जाते हैं. 

काफी खोजबीन के बाद पता चला कि वो अपनी निजी क्लिनिक पर अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं.

दरभंगा: बिहार के दरभंगा डीएमसीएच में डॉक्टरों के द्वारा अपने विभाग में समय पर आकर हाजरी बनाना और नदारद हो जाना आम बात है. वो भले सरकार की नजर में ड्यूटी पर होते है लेकिन असल वो अपने निजी क्लिनिक चला रहे होते हैं.

ताजा मामला दरभंगा डीएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग का है जहां मरीजों का अल्ट्रासाउंड होता है. वहां के विभागाध्य्क्षय डॉ संजय झा छुट्टी पर हैं और उनके चार्ज में डॉ दिलीप कुमार झा हैं, जो समय पर आकर अपनी हाजरी बना वहां से गायब हो जाते हैं. इसके बारे में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डॉ साहेब आकर हाजरी बनाकर और चले गए, कहां गए नहीं पता है.

काफी खोजबीन के बाद पता चला कि वो अपनी निजी क्लिनिक पर अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं. बाद उन्होंने मीडिया के सामने आने से इंकार कर दिया. डीएमसीएच के उपाधीक्षक बालेश्वर सागर ने कहा कि हमने विभाग में पूछा है और कर्मचारी ने बताया कि वो आए थे और कहीं चले गए हैं. उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कारवाई  होगी. वहीं, ड्यूटी के समय निजी क्लिनिक चलाने को उन्होंने गलत माना.
 
इन सब के साथ बड़ा सवाल ये है कि क्या अल्ट्रासाउंड की मशीन खराब कर दी गई हो और उसमें पदस्थापित डॉक्टर गरीब मरीजों को अपने क्लिनिक पर बुला अल्ट्रासाउंड कर  मोटी कमाई कर रहे हैं?  बड़ा सवाल ये भी है कि चार में तीन मशीन खराब हो गए उसके लिये अधीक्षक क्यों नहीं लिखा गया, जब हंगामा हुआ तो अधीक्षक को जानकारी दी गई.

हालात ये हैं कि परिजन मरीजों को खुद स्ट्रेचर पर रख कर वार्डो से अल्ट्रासाउंड कराने आते हैं और नहीं होने पर लौट जाते हैं. आपको बता दें कि पिछले सात दिनों से डीएमसीएच में अल्ट्रासाउंड ठप रहने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 

4 मशीन में से तीन मशीन खराब है जबकि चौथा मशीन ठीक है. एक मशीन से यहां अभी प्रतिदिन 50 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड हो पाता है. जबकि चारों मशीन जब यहां ठीक रहता है उस वक्त यहां 200 से 250 मरीज का अल्ट्रासाउंड प्रतिदिन हुआ करता था. वहीं, तीन मशीन खराब होने के कारन गरीब मरीज बाजार में ऊंची कीमत पर जांच कराने को मजबूर हैं.