घाटशिलाः 40 दिनों के श्रमदान से ग्रामीणों को मिली सफलता, गांव तक पहुंचा पहाड़ का पानी
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घाटशिलाः 40 दिनों के श्रमदान से ग्रामीणों को मिली सफलता, गांव तक पहुंचा पहाड़ का पानी

घाटशिला के गुराबंदा प्रखंड के कार्लाबेरा पाड़ी के तलहटी में बसे अम्बाडूबी गांव जहां वर्षों से नक्सलियों का शासन चलता रहा है. नक्सलियों के लिए यह गांव अभेद दुर्ग माना जाता है. 

घाटशीला के गांव में पहाड़ से उतारा गया गांव में पानी.

रंनधीर कुमार सिंह/घाटशीलाः झारखंड स्थित घाटशिला के गुराबंदा थाना क्षेत्र जो एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां बसे हुए गांव में पीने के पानी की किल्लत है. लेकिन गांव के लोगों ने ऐसा कारनाम कर दिखाया है. जिसके बाद प्रशासन भी गांव के लोगों की मेहनत की सराहना कर रहे हैं. वहीं, अब उनकी मेहनत को अंजाम तक पहुंचाने का भरोसा दिला रहे हैं.

दरअसल, घाटशिला के गुराबंदा प्रखंड के कार्लाबेरा पाड़ी के तलहटी में बसे अम्बाडूबी गांव जहां वर्षों से नक्सलियों का शासन चलता रहा है. नक्सलियों के लिए यह गांव अभेद दुर्ग माना जाता है. यहां प्रशासन के कदम भी कांपने लगते हैं. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव का विकास किस स्तर पर होगा. यहां लोगों को पीने के पानी कि किल्लत झेलनी पड़ती थी.

सालों से पीने के पानी के कस्ट को गांव वालों ने खुद दूर करने की ठानी. और पहाड़ियों पर सिसक-सिसक कर बहने वाले झरना के पानी को सीधे गांव तक लाने की जिद ने यहां खुशहाली ला दी है. गांव वालों ने निर्णय किया कि श्रमदान और चंदा कर पहाड़ी के ऊपर से पानी को उतारा जाएगा. इस निर्णय के बाद 40 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद 700 मीटर पहाड़ी के ऊपर बहने वाली तितली झरने के पानी को सिचाई पाईप से जोड़ कर गांव में उतारा गया.

इस काम के बाद गांव में खुशी है. वह इसे एक उत्सव की तरह मना रहे हैं. इसकी सूचना जब जिले के डीसी रविशंकर शुक्ला को मिली तो उन्होंने ग्रामीणों से मिलकर समस्या को जानने के लिए पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों के जज्बे को सराहा और पीने के पानी की व्यवस्था को टिकाऊ बनाने का भरोसा दिलाया.

गांव में खुशी है कि अब उन्हें पानी की तलाश में इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. अब उनके जमीन पर पीने का पानी और सिचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगी. जिससे वह खेती कर अपना जीवनयापन ठीक तरीके से कर सकेंगे. हालांकि, सवाल यही है कि क्या प्रशासन अब ग्रामीणों की मेहनत को कब तक मजबूत बनाएंगे. क्योंकि अब तक इस काम सिस्टम के द्वारा पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया जा सका.