चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में 124 और बिहार में 161 बच्चों की मौत, सीएम ने साधी चुप्पी
Advertisement

चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में 124 और बिहार में 161 बच्चों की मौत, सीएम ने साधी चुप्पी

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में इस बीमारी से मरनेवाले बच्चों की संख्या 124 पहुंच गयी, अगर पूरे बिहार की बात करें, तो एईएस से अब तक 161 बच्चों की मौत हो चुकी है.

चमकी बुखार से बिहार में अब तक 161 बच्चों की मौत हो चुकी है.

पटनाः मुजफ्फरपुर में एईएस (चमकी बुखार) से बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. शुक्रवार को दो और बच्चों ने दम तोड़ दिया, जिससे मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में इस बीमारी से मरनेवाले बच्चों की संख्या 124 पहुंच गयी, अगर पूरे बिहार की बात करें, तो एईएस से अब तक 161 बच्चों की मौत हो चुकी है. इतनी मौतों के बाद केंद्र और राज्य सरकार चेती है, जिसके बाद से तमाम तरह के अभियान मुजफ्फरपुर के आसपास के इलाकों में चलाये जा रहे हैं. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीमें और मेडिकल सुविधाओं से लैस एंबुलेंस मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल पहुंची हैं. 

लीची के लिए जाना जानेवाला मुजफ्फरपुर पिछले 25 साल से एईएस का दंश झेल रहा है, जिस साल गर्मी ज्यादा होती है और बारिश देर से आती है, एईएस का प्रकोप मुजफ्फरपुर समेत आसपास के जिलों पर बढ़ जाता है. इससे पीड़ित बच्चे अगर कुछ घंटे में अस्पताल नहीं पहुंचते हैं, तो उनकी मौत तक हो जाती है. इसी को लेकर बीमारी के इलाज के लिए 2013 में एक प्रोटोकॉल तैयार किया गया था, जिसे 2014 और 2015 में अंतिम रूप दिया गया. इसी के आधार पर मुजफ्फरपुर में विभिन्न विभागों को मिल कर जागरूकता अभियान चलाना था और अगर कोई बच्चा पीड़ित होता, तो उसका इलाज भी इसी गाइड लाइन के साथ होना तय हुआ. 

तय की गयी गाइडलाइंस का प्रचार हुआ, तो 2015 से बीमारी पर रोक लगी और 2016, 2017 और 2018 में इसका काफी कम प्रकोप हुआ, जिससे लगा कि ये बीमारी अब मुजफ्फरपुर से चली जायेगी. नतीजा ये हुआ कि प्रशासन ने एईएस को लेकर जागरूकता अभियान चलाना बंद कर दिया. 2019 में अचानक ये बीमारी फिर से वापस आ गयी और 25 मई के बाद से इसका विकराल रूप सामने आने लगा, लगातार बच्चे एईएस से पीड़ित होने लगे, लेकिन शासन और प्रशासन ने इसके रोकथाम के लिए शुरुआत में कुछ भी नहीं किया. नतीजा ये हुआ कि बीमारी से अब तक 158 बच्चों की मौत हो गयी, जबकि 413 बच्चे केवल एसकेएमसीएच में अब तक भर्ती हो चुके हैं. अगर सब अस्पतालों को जोड़ दें, तो इससे पीड़ित होनेवाले बच्चों का आकड़ा 600 की संख्या को पार कर जायेगा. 

जून के महीने में जिस तरह से गर्मी का प्रकोप बढ़ा, बीमारी का दायरा बढ़ता गया और इसके बीच सरकार की लापरवाही भी सामने आती गयी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू में बच्चों की मौत को दुखद बताया, लेकिन इसके बाद चुप्पी साध ली. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो आकड़े जारी किये गये, वो सच्चाई से परे निकले. जमीन पर कहीं भी अभियान नहीं चलाया गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने मुजफ्फरपुर का दौरा किया, तो 2014 में जो बातें कह कर गये थे, उन्हीं को फिर से दोहरा दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील मोदी का मुजफ्फरपुर दौरा हुआ, लेकिन मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने बीमारी को लेकर पत्रकारों से किसी तरह की बात नहीं की. 

बीमारी के रोकथाम में लापरवाही को लेकर बैकफुट पर आयी सरकार ने मुजफ्फरपुर जिले में अभियान चलाना शुरू किया, लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि इसका ज्यादा असर देखने को नहीं मिला, वहीं, बीमारी को लेकर प्रशासन की संवेदनहीनता भी सामने आयी. 

मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाया
एईएस को लेकर सवालों के घेरे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 21 जून को बिहार विधानसभा पहुंचे, जहां लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान को राज्यसभा के लिए नामांकन करना था. मुख्यमंत्री जब विधानसभा सचिव के कार्यालय में पहुंचे, तो वहां पर पत्रकार पहले से मौजूद थे. मुख्यमंत्री कुछ देर तक शांत रहे, इसके बाद पत्रकारों को प्रोटोकॉल की दुहाई देकर सचिव के कार्यालय से बाहर निकलवा दिया. इसको लेकर मुख्यमंत्री की काफी किरकिरी हुई, जब नामांकन के बाद मुख्यमंत्री बाहर निकलने लगे, तो पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछना चाहा, लेकिन वो बिना कुछ बोले ही आगे बढ़ गये. ये चौथा मौका था, जब मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया. 

माइक हटाते हुये आगे चले गये मंगल पांडेय
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर एईएस के रोकथाम में बड़ी लापरवाही का आरोप है, जब बीमारी बढ़ रही थी, तो मंत्री मंगल पांडेय कनाडा की यात्रा कर रहे थे. विदेश से वापस आये, तो उन्होंने दिल्ली में पत्रकारों से बीमारी के बारे में बात करने से मना कर दिया. कहा कि हमको जानकारी नहीं है, जानकारी लेने के बाद बात करूंगा. इसके बाद से ही बिहार के स्वास्थ्य मंत्री लगातार सवालों के घेरे में आते चले गये. दिल्ली से पटना आये और ये तय हुआ कि अगले दिन केंद्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन मुजफ्फरपुर आयेंगे, लेकिन हुआ इसका उल्टा बिहार के स्वास्थ्य मंत्री खुद दिल्ली पहुंच गये और वहां बैठक करने लगे. इसके बाद जब बीमारी लगातार बढ़ती रही, तो केंद्रीय मंत्री को मुजफ्फरपुर जाना पड़ा. मुजफ्फरपुर से लौट कर पटना में बीमारी को लेकर बैठक हो रही थी, इसी दौरान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भारत- पाकिस्तान के मैच का स्कोर पूछ रहे थे. इसका वीडियो खूब वायरल हुआ. इसके बाद से मंत्री मंगल पांडेय ने चुप्पी साध रखी है.