बिहार: लॉकडाउन के दौरान नशे के कारोबारियों ने खूब पसारे पैर, पुलिस ने की गिरफ्तारियां
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बिहार: लॉकडाउन के दौरान नशे के कारोबारियों ने खूब पसारे पैर, पुलिस ने की गिरफ्तारियां

साल 2018 में 360 मामले दर्ज किए गए जिसमें 441 गिरफ्तारियां हुईं. 25355 किलो गांजा जब्त किया गया और 63 किलो चरस भी पुलिस ने सीज किया है. 160 लोगों को कानूनी रूप से दोषी ठहराया गया.

बिहार: लॉकडाउन के दौरान नशे के कारोबारियों ने खूब पसारे पैर, पुलिस ने की गिरफ्तारियां.

पटना: कोरोना संकट के समय पूरा देश लगभग ढाई महीने तक लॉकडाउन की स्थिति में था. हर जगह जान बचाने की कवायद चल रही थी. सड़क पर सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही चालू थीं. लेकिन इस कोरोना संकट और लॉकडाउन का भी नशे के कारोबारियों पर कोई खास असर नहीं दिखा. नशे के सौदागरों ने अपने मंसूबो को खूब अंजाम देने की कोशिश की. 

हालांकि इस अभियान में वो पकड़े भी गए. इस बात का खुलासा हुआ मादक पदार्थ के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरुद्ध अंर्तराष्ट्रीय दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान.

दरअसल, शुक्रवार को मादक पदार्थ के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरुद्ध अंर्तराष्ट्रीय दिवस के मौके पर एक समारोह का आयोजन किया गया. समारोह डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आयोजित हुआ. कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव गृह आमिर सुब्हानी, डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, एडीजी आर्थिक अपराध ईकाई जितेंद्र सिंह गंगवार समेत कई पुलिस पदाधिकारी और आमलोग भी जुड़े.

एडीजी इओयू जितेंद्र सिंह गंगवार ने मादक पदार्थो के दुरुपयोग इसके इस्तेमाल अपराधियो की गिरफ्तारी और मादक पदार्थो की जप्ती से जुड़ी जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि इस साल 2020 में जनवरी से लेकर मई महीने तक मादक पदार्थो की तस्करी की 207 घटनाएं हुई हैं, जिसमे 244 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस दौरान 1907.04 किलो गांजा और 21.33 किलो चरस जब्त किए गए हैं. जबकि 49 लोगों को अभी तक कानूनन दोषी ठहराया जा चुका है. 

इन आंकड़ों में गौर करनेवाली बात यह है कि मार्च अप्रैल मई जून के कुछ महीने को मिला दें तो बिहार में लगभग ढाई महीने पूर्ण लॉकडाउन के हालात थे. सिर्फ इमरजेंसी सेवाओ को ही मूवमेंट की इजाजत थी. 

ऐसे में नशे के कारोबार के लहजे से शुरुआती 5 महीने के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. हालांकि इस दौरान इओयू ने जो मादक पदार्थ जब्त किए हैं उनकी मात्रा दूसरे सालों की तुलना में कम जरूर है.

मादक पदार्थो से जुड़ी इओयू के दूसरे सालों की उपलब्धि को देखें तो साल 2019 में 621 कांड दर्ज किए गए थे जिसमें 490 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 6447 किलो गांजा जब्त किया गया था और 275 किलो चरस जब्त किया गया है, जबकि 189 लोगों को कानून दोषी ठहराया गया .

साल 2018 में 360 मामले दर्ज किए गए जिसमें 441 गिरफ्तारियां हुईं. 25355 किलो गांजा जब्त किया गया और 63 किलो चरस भी पुलिस ने सीज किया है. 160 लोगों को कानूनी रूप से दोषी ठहराया गया.

साल 2017 में 563 कांड दर्ज हुए 535 लोग गिरफ्तार किए गए. 19848 किलो गांजा जब्त हुआ और 422 किलो चरस जब्त हुआ, जबकि 126 लोग कानून दोषी ठहराए गए.

साल 2016 में 518 कांड दर्ज किए गए. 496 लोग गिरफ्तार किए गए. 10552 किलो गांजा और 88 किलो चरस जब्त किया गया. 95 लोगों को कानूनन दोषी ठहराया गया.

साल 2015 में 314 कांड दर्ज हुए, 346 गिरफ्तारियां हुईं. 4302 किलो गांजा जब्त हुआ और 82 किलो चरस भी जब्त किया गया है. 65 लोग दोषी करार दिए गए.

इसके अलावा पीएमएलए एक्ट के तहत 28 अभियुक्तों के खिलाफ 46 करोड़ 61 लाख की परिसंपत्ति जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है.

कार्यक्रम से जुड़े डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि उन्होंने डीजीपी बनने से पहले शराबबंदी कानून को सफल बनाने और शराब से मुक्ति के लिए 200 सभाएं की थीं. डीजीपी ने नशा पर रोकथाम के लिए सीमावर्ती जिलों में विशेष निगरानी रखने पर बल दिया. डीजीपी ने सभी एसपी और डीएम से शराब और नशे के बड़े कारोबारियों पर कार्रवाई को जरूरी बताया.

कार्यक्रम के दौरान अपर मुख्य सचिव ने कहा कि रेलवे प्लेटफॉर्म और फुटपाथ पर रहनेवाले बच्चे काफी जल्दी नशे के शिकार हो जाते हैं. ऐसे बच्चों के पुनर्वास और लत छुटकारे के लिए जिला पुलिस को रेल पुलिस समाज कल्याण और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर काम करना चाहिए. 

बिहार में शराबबंदी के बाद नशीले पदार्थो की तस्करी और उसको दुरुपयोग काफी बढ़ गया है. ऐसे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. आमिर सुब्हानी ने इस मौके पर इओयू के ई-पोस्टर का ऑनलाइन विमोचन किया और विभाग की ओर से आयोजित बच्चों की पेंटिंग और स्लोगन लेखन प्रतियोगिता के विजय प्रतिभागियों के नाम की घोषणा भी की.