झारखंड: आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य स्कूलों का होगा कायाकल्प
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झारखंड: आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए एकलव्य स्कूलों का होगा कायाकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 10 करोड़ आदिवासियों के बच्चों को उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए 462 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों को देश को समर्पित किया.

एकलव्य स्कूल का होगा कायाकल्प.

आनंद प्रियदर्शी, चाईबासा: आदिवासी बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा मिल सके इसके लिए केंद्र सरकार (Central Government) ने एकलव्य स्कूलों का कायाकल्प करने का फैसला किया है. जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने सेन्ट्रल स्कूल की तरह ही एकलव्य स्कूलों को संचालित करने की बात कही है. इसके लिए देशभर में सेंट्रल स्कूल को संचालित करने वाली केंद्र सरकार की संस्था ही एकलव्य विद्यालय को भी संचालित करेगी.

रांची में 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने देश के 10 करोड़ आदिवासियों के बच्चों को उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए 462 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों को देश को समर्पित किया. झारखंड में 69 एकलव्य स्कूल खुलेंगे, जिनमें से कोल्हान में 14 स्कूल और पश्चिम सिंहभूम में 10 एकलव्य विद्यालय खोलने की मंजूरी दी गई है.

पश्चिम सिंहभूम जिले में पहले से ही खूंटपानी प्रखंड के तोरसिंदरी गांव में एकलव्य विद्यालय चल रहा है, जो केवल आदिवासी लड़कियों के लिए है. वहीं, लड़कों के लिए दूसरा एकलव्य विद्यालय सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई में चल रहा है. दोनों एकलव्य विद्यालय खरसावां विधानसभा क्षेत्र में पड़ते हैं, जिसे अर्जुन मुंडा ने अपने मुख्यमंत्री काल में शुरू किया था.

इसी एकलव्य विद्यालय के मॉडल को देशभर में उन क्षेत्रों में शुरू किया जा रहा है, जहां कम से कम 20 फीसदी जनसंख्या आदिवासियों की है. इसी लिहाज से पश्चिम सिंहभूम जिले में सबसे ज्यादा 10 एकलव्य विद्यालय खोलने की केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है. फिलहाल कोल्हान के खूंटपानी और कुचाई में चल रहा एकलव्य विद्यालय एक एनजीओ संचालित कर रहा है. केंद्र सरकार ने अब सभी एकलव्य विद्यालय को सेंट्रल स्कूल और जवाहर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर संचालित करने का फैसला किया है, जिससे एकलव्य स्कूल का शैक्षणिक स्तर भी नवोदय और सेंट्रल स्कूल की तरह होगा.

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अभी एकलव्य स्कूल के बच्चों पर सरकार 60 हजार रुपए प्रति बच्चा खर्च कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने राशि बढ़ाकर एक लाख नौ हजार कर दी है. वहीं, अभी निजी शिक्षक ही एकलव्य विद्यालय के बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन अब सरकारी शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी.

एकलव्य स्कूल में अभी 12वीं तक ही पढ़ाई होती है. उसके बाद छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए अपने स्तर से आगे बढ़ना पड़ता है. नये प्रावधान के मुताबिक, एकलव्य स्कूल के छात्रों को मैट्रिक से ही इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट जैसे उच्च शिक्षा के लिए कोचिंग दी जाएगी. इससे आदिवासी छात्र 12वीं के बाद भी आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे. इतना ही नहीं शिक्षा के साथ खेल में रूचि रखनेवाले छात्रों को चार ऐसे खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो ओलंपिक में शामिल होते हैं.

केंद्र सरकार देश के आदिवासी बच्चों को न सिर्फ उच्च स्तरीय शिक्षा देने की तैयारी कर रही है, बल्कि उसे खेल से लेकर रोजगार तक देने के लिए भी तैयार कर रही है. केंद्र सरकार के इस फैसले से न सिर्फ एकलव्य स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे खुश हैं, बल्कि इस योजना की आदिवासी समाज भी जमकर तारीफ कर रहा है.

-- Meena Bisht, News Desk