नालंदा: अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठे कार्यपालक सहायक, प्रशासन पर साधा निशाना
इस दौरान अनशनकारी कार्यपालक सहायकों ने कहा कि प्रशासन की दो रंगी नीति के कारण नालंदा जिले में अब तक 323 पदों पर कार्यपालक सहायकों की नियुक्ति नहीं की गई है. जबकि सारा पैनल और बाकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.
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नालंदा: नालंदा में कार्यपालक सहायकों और प्रशासन के बीच की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है. इसी क्रम में बिहार कार्यपालक सहायक सेवा संघ अपनी मांगों को लेकर बिहार शरीफ के अस्पताल चौक पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठ गया है.
बता दें कि इन कार्यपालक सहायकों ने कई महीने तक अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर प्रशासन मंत्री और वरीय पदाधिकारियों के समक्ष गुहार लगाई, लेकिन जब इन मांगें नहीं मानी गई तो ये थक हारकर आमरण अनशन पर बैठ गए.
इस दौरान अनशनकारी कार्यपालक सहायकों ने कहा कि प्रशासन की दो रंगी नीति के कारण नालंदा जिले में अब तक 323 पदों पर कार्यपालक सहायकों की नियुक्ति नहीं की गई है. जबकि सारा पैनल और बाकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की दोहरी नीति के कारण आज 323 अभ्यर्थी भूखमरी के कगार पर है.गौरतलब है कि जिले में कार्यपालक सहायक की प्रक्रिया की शुरुआत 2008 में हुई थी. साथ ही 323 पदों पर नियुक्ति जनवरी 2019 में ही होनी थी, लेकिन टालमटोल कर इस पद पर अब तक नियुक्ति नहीं की गई है.
बिहार राज्य के हर जिले में कार्यपालक सहायकों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया है, लेकिन यह दोहरी नीति सिर्फ मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र नालंदा में ही है. यहां अभी तक कार्यपालक सहायकों की अब तक नियुक्ति नहीं की गई है.
इसी दोहरी नीति के खिलाफ सोमवार को नालंदा जिले के सभी 323 कार्यपालक सहायकों ने अस्पताल चौराहा पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन करना शुरू कर दिया है. अनशनकारियों ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती है, हमारा यह अनशन जारी रहेगा.
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