पटनाः बिहार में जल संकट का अभी महज आगाज है. 2020 के बाद पूरे बिहार में लोग पानी के लिए तरसेंगे. यह हम नहीं कह रहे बल्कि विशेषज्ञों की ये चेतावनी है. शुक्रवार को पटना में पर्यावरण से जुडे विशेषज्ञों की टीम ने ग्रीन स्कील डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत रिवर लाईफ मैनेजमेंट सिस्टम पर जो विचार रखें है वो चिंताजनक हैं. अगर वाकई इसपर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो सबों को इसका खामियाजा भुगतना पडेगा.


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बिहार में जल संकट को लेकर त्राहीमाम मचा हुआ है. लेकिन ये जल संकट तो महज शुरुआत है. क्योंकि 2020 के बाद बिहार में असली जलसंकट की तस्वीर निकल कर सामने आएगी. ये दावा है बिहार राज्य पॉल्यूशन नियंत्रण पर्षद के चेयरमैन अशोक घोष का.



दरअसल, अशोक घोष ग्रीन स्कील डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत रिवर लाईफ मैनेजमेंट सिस्टम पर आधारित कोर्स के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार रख रहे थे. अशोक घोष ने इस मौके पर कहा कि हमने ये कभी नहीं सोचा था कि बोतल बंद पानी हमें खरीद कर पीना पड़ेगा. लेकिन आज इस हालात से सभी गुजर रहे हैं. पर्यावरण से खिलवाड़ बंद नहीं हुआ तो 2020 से 2030 तक बिहार वाटर सरप्लस स्टेट से घटकर वाटर डिफिसिट स्टेट बन जाएगा. 


सेंट्रल वाटर बोर्ड ने भी कुछ ऐसा ही अंदेशा जाहिर किया है. अशोक घोष ने बिहार जैसे राज्य में प्रदूषण नियंत्रण कानून को लागू करने में आ रही कठिनाईयों पर भी हैरानी जतायी है. अशोक घोष ने कहा कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सरकार ने आम लोगों के हित में कानून बनाये हैं लेकिन जब आमलोग ही इस कानून को लागू करने में सहयोग नहीं करेंगे तो प्रदूषण मुक्त सोसायटी देना संभव नहीं हो सकेगा.


कार्यक्रम में मौजूद भारत सरकार की वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की मुख्य सलाहकार आनंदी सुब्रमन्यन ने भी वर्तमान जलसंकट पर चिंता जाहिर की है. आनंदी सुब्रमन्यन ने कहा कि हमारी सभ्यता नदियों के किनारे ही विकसित हुई है. लेकिन आज इन्हीं नदियों पर संकट आ चुका है. हमनें नदियों के आगे दीवारें खड़ी कर दी है. शहरीकरण के कारण नदियों के रास्ते में रुकावटें ही रुकावटें आ गयी है. शहरों के कारण हम नदियों से दूर होते चले गये.


केंन्द्र सरकार की ओर से चलाये जा रहे ग्रीन स्कील डेवलपमेंट प्रोग्राम के साथ हम हालात बदलने की कोशिश कर रहे हैं. स्कील ट्रेनिंग प्रोग्राम से प्रशिक्षण लेकर जो भी युवा ग्रीन वारियर बनेंगे वो हमारे पर्यावरण को बचाने में न केवल मदद करेंगे बल्कि लोगों को जागरुक भी करेंगे. आनंदी सुब्रमन्यन ने कहा कि सरकारी दफ्तरों में बैठकर पर्यवारण बचाने की मुहीम नहीं चलायी जा सकती. इसके लिए अधिकारियों को भी फिल्ड में आना होगा. सुब्रमन्यन ने लोगों को वेस्ट मैनेजमेंट से बचने केलिए विशेष सलाह भी दी है. सुब्रमन्यन ने कहा है कि वेस्ट मैनेजमेंट से बेहरत है कि लोग अपने वेस्ट पर ही लगाम लगाये ताकि वेस्ट को मैनेज करने की नौबत नही न आए.