बगहा: मोलाइसिस का रेट न बढ़ने से किसान-मिल प्रबंधन परेशान, सरकार से लगाई गुहार
Advertisement

बगहा: मोलाइसिस का रेट न बढ़ने से किसान-मिल प्रबंधन परेशान, सरकार से लगाई गुहार

मिल प्रबंधन का कहना है कि, सरकार द्वारा मोलाइसिस बिक्री के लिए वर्ष 2014 में सरकारी दर 287.50 पैसे निर्धारित किया गया है. जबकि, खुले बाजार में 607.50 पैसे का दर मिल रहा है.

 

 डिप्टी कमिश्नर एक्साइज ने सख्त निर्देश दिया कि, सरकार के आदेश का पालन किया जाए.

इमरान अजीज/बगहा: बिहार सरकार के निर्देश के बावजूद भी तिरुपति शुगर मिल प्रबंधन द्वारा मोलाइसिस छोवा की बिक्री नहीं की जा रही है. इसकी शिकायत पर बुधवार को एक्साइज विभाग के डिप्टी कमिश्नर कृष्ण कुमार फोर्स के साथ बगहा पहुंचे और तिरुपति चीनी मिल प्रबंधन के अधिकारियों के साथ आवश्यक समीक्षा बैठक की.

इस दौरान, डिप्टी कमिश्नर एक्साइज ने सख्त निर्देश दिया कि, सरकार के आदेश का पालन किया जाए और मोलाइसिस की सप्लाई डिस्टलरी को सुनिश्चित कराई जाए. दरअसल 15 दिनों से मोलाइसिस उठाव के लिए तिरुपति शुगर्स मिल्स के सामने गाड़ियां खड़ी हैं और मिल प्रबंधन सरकार द्वारा वर्ष 2014 में निर्धारित किए गए मोलाइसिस के मूल्य को बाजार रेट से कम होने की बात कह कर, इसकी सप्लाई देने में आनाकानी कर रहा है.

मिल प्रबंधन मोलाइसिस एस के गुप्ता का कहना है कि, सरकार द्वारा मोलाइसिस बिक्री के लिए वर्ष 2014 में सरकारी दर 287.50 पैसे निर्धारित किया गया है. जबकि, खुले बाजार में 607.50 पैसे का दर मिल रहा है. ऐसे में नुकसान सहकर बेचना कहां तक उचित है.

वहीं, उत्पाद विभाग से किसानों के एक मंडल ने भी मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया. किसानों ने कहा कि, सरकार और चीनी मिल प्रबंधन के आपसी पेंच के बीच किसान पीस रहे हैं और उन्हें मोलाइसिस नहीं बिकने की बात कह उनका भुगतान बाधित किया जा रहा है.

हालांकि, उत्पाद विभाग के डिप्टी कमिश्नर ने कहा है कि, किसान और मिल प्रबंधन की शिकायतें सुनी जाएंगी और मिल प्रबंधन को इसके लिए राज्य सरकार से बात करनी चाहिए ना कि, सरकार के आदेश की अवहेलना करनी चाहिए. कमिश्नर ने मिल प्रबंधन को निर्देशित किया कि, सरकार द्वारा निर्धारित दर पर अविलम्ब मोलासिस सप्लाई किया जाए अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि, बिहार में कुल 11 चीनी मिलों में रीगा चीनी मिल बंदी के कगार पर हैं. इसके पूर्व कई चीनी मिलों का बंद करना पड़ा है. कृषि प्रधान चंपारण में एक मात्र नगदी फसल गन्ना है, जहां गन्ना किसानों की चिंता खेती किसानी को लेकर लंबित भुगतान और लॉकडाउन (Lockdown) में दोगुनी बढ़ गई है. तो वहीं, तिरुपति चीनी मिल प्रबन्धन करीब 85 करोड़ के बकाया भुगतान चीनी की बिक्री दर समेत, मोलाइसिस सप्लाई और रेट नहीं बढ़ाने को लेकर घाटे का हवाला देकर कर्मियों के वेतन भुगतान में भी परेशान है.