नालंदा: मौत के बाद बेटे के शव को कंधे पर लेकर जाने को मजबूर हुआ पिता, सरकारी सेवाओं की खुली पोल
मुख्यमंत्री नीतीश के गृह जिले में एक बार फिर सदर अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां सात साल के बेटे की मौत के बाद शव को पिता कंधे पर ले जाने को मजबूर हो गया.
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नालंदा: चमकी बुखार को लेकर जहां पूरे सूबे के सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट कर परिजनों को सारी सुविधा निःशुल्क दी जा रही है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में एक बार फिर सदर अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां सात साल के बेटे की मौत के बाद शव को पिता कंधे पर ले जाने को मजबूर हो गया.
अस्पताल परिसर में मृत बच्चे को कंधे पर लेकर बच्चे के पिता काफी देर तक इधर से उधर घूमते रहे मगर जिम्मेदारी अधिकारी या कर्मियों के से किसी की भी नजर इसपर नहीं पड़ी. अंत मे थक हारकर लाचार पिता किसी को कुछ बोले बिना अस्पताल से लेकर निकल गया. सदर अस्पताल को सरकारी शव वाहन उपलब्ध कराए गए हैं फिर भी अस्पतालकर्मियों के कानों पर जू तक नहीं रेंगी.
बच्चे के परिजन नालंदा के परबलपुर के रहने वाले हैं. परिजनों ने बताया कि वह सुबह साइकिल चला कर घर आया इसके बाद बेहोश होकर गिर गया. इसके बाद उसे वहां एक निजी किलनिक में ले गए जहां चिकित्सक ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया. यहां लाने पर चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया.
इधर नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने इस मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. डीएम का कहना है अस्पतालकर्मियों का कहना है कि बच्चे के परिजन को वाहन उपलब्ध कराने की बात कही गयी थी.
चूंकी वाहन उस समय अस्पताल में मौजूद नहीं था इसलिए उन्हें रुकने के लिए कहा गया मगर वे रुके नहीं और शव को लेकर चले गए. वहीं, अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राम कुमार का कहना है की बच्चे की मौत अस्पताल लाने के पहले ही हो चुकी थी और जल्दी में बच्चे का शव लेकर चले गए. मामला चाहे जो भी मगर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लाख दावे कर लें मगर आज भी सिस्टम लचर दिख रही है .