चारा घोटाला : लालू यादव की जमानत याचिका पर SC में हुई सुनवाई, सिब्बल ने पेश की दलीलें
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर कहा है कि दो हफ्ते में जवाब दें.
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पटना : चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए. कोर्ट ने उनसे पूछा कि किन-किन मामलो में सजा सुनाई गई है तो उन्होंने तीन मामलों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इससे पहले हम हाईकोर्ट में अपील किए थे, जिसे खारिज कर दिया गया था. उसी के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट आए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर कहा है कि दो हफ्ते में जवाब दें. दरअसल, चारा घोटाले के तीन मामले में लालू प्रसाद ने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत याचिका दायर की हुई है.
इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दरअसल, लालू यादव ने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी है, जिसमें कहा गया है कि उनकी उम्र 71 हो गई है. उन्हें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग सहित कई अन्य बीमारियां हैं. फिलहाल, उनका रिम्स में इलाज चल रहा है. प्रतिदिन करीब 13 प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. ऐसे में लालू प्रसाद यादव का सुप्रीम कोर्ट का रुख करना बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि वह राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी करनी है. जिसको लेकर पार्टी नेताओं के साथ उन्हें कई बैठक करनी होगी और रणनीति तय करनी होगी. उम्मीदवार भी तय करने होंगे. उम्मीदवारों को सिंबल देने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का हस्ताक्षर होना जरूरी है.
झारखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि इस मामले में तत्कालीन विभागीय मंत्री विद्यासागर निषाद, तत्कालीन विभागीय सचिव बेक जूलियस, नेता आरके राणा, जगदीश शर्मा और जगन्नाथ मिश्र बरी हो गए हैं तो लालू प्रसाद ने किसके साथ मिलकर अवैध निकासी का षड्यंत्र रचा.
उनके वकील का कहना था कि कोर्ट ने लालू प्रसाद को षड्यंत्र रचने का दोषी पाया है, जबकि सीबीआई षड्यंत्र साबित करने में विफल रही है. यदि यह मामला षड्यंत्र का रहता तो सभी को दोषी करार दिया जाना चाहिए. इससे साबित होता है कि लालू ने कोई षड्यंत्र नहीं किया. लालू पर कुछ अधिकारियों को सेवा विस्तार देने और खास पद पर पदस्थापित रखने का आरोप भी लगाया गया है, लेकिन ये आरोप प्रमाणित नहीं होते.
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