केमिकल वाली सब्जियों, फलों की चपेट में पटना, फूड इंस्पेक्टर ने की छापेमारी
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केमिकल वाली सब्जियों, फलों की चपेट में पटना, फूड इंस्पेक्टर ने की छापेमारी

अगर आप वेजिटेरियन हैं और ये समझ रहे हैं कि आप सेहतमंद खाना खा रहे हैं तो यह आपकी भूल है. क्योंकि आप नॉनवेज खाने वालों से ज्यादा डेंजर जोन में जी रहे हैं.

पटना में बिक रही केमिकल वाली सब्जी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पटना : बिहार की राजधानी पटना केमिकल वाली सब्जियों और फलों की चपेट में है. फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से गुरुवार को पटना के फल और सब्जी मंडियों में छपेमारी की गयी. हलांकि इस छापेमारी के दौरान डिपार्टमेंट के अधिकारियों को सफलता हाथ नहीं लगी. लेकिन केमिकल के जरिये पके हुए फल जरूर मिले, जिसको लेकर दुकानदारों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया.

अगर आप वेजिटेरियन हैं और ये समझ रहे हैं कि आप सेहतमंद खाना खा रहे हैं तो यह आपकी भूल है. क्योंकि आप नॉनवेज खाने वालों से ज्यादा डेंजर जोन में जी रहे हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि पटना के फल और सब्जी बाजारों से आ ऐसी खबरें आ रही हैं.

गुरुवार को पटना के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से फल और सब्जी मंडियों में छापेमारी की गयी. फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट को सूचना मिली थी कि पटना के बाजारों में बिकने वाले फल और सब्जियों के बड़े खेप में केमिकल युक्त फल सब्जियां बेची जा रही हैं. पटना के फूड इंस्पेक्टर अजय कुमार ने फल और सब्जियों की जांच की.

फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम सबसे पहले सब्जी मंडी में सब्जियों का जांच करने पहुंची. आमतौर पर पटना आ रही सब्जियों में मेरालीन ग्रीन और मेटालिन येलो केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है. अजय कुमार ने बताया कि आमतौर पर सब्जियों को रंगने के लिए अब साधारण रंगों की जगह केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है. फूड इंस्पेक्टर ने लिक्विड पैराफिन के जरिये सब्जियों की जांच की. लेकिन जांच किये गये सब्जी दुकान में कुछ नहीं मिला.

इसके बाद टीम फल दुकान पर पहुंची. आमतौर पर फलों के पकाने के लिए कई तरह के खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है. आम को पकाने के लिए कैल्सियम कार्बाईड का इस्तेमाल किया जाता है. चूंकि पहले कैल्सियम कार्बाईड को पानी में मिलाकर छिड़काव कर आम को पकाया जाता था. जिसे जांच के क्रम में पकड़ना आसान होता था. लेकिन जालसाजों ने अब आम पकाने का तरीका बदल दिया है.

अब आम के ढेर में कैल्शियम कार्बाईड का छोटा टुकड़ा पेपर में लपेट कर रख दिया जाता है. जिससे आम पक जाता है. लेकिन जांच में फल पकाने के लिए हुए कार्बाईड के इस्तेमाल की पुष्टि नहीं हो पाती है.

उसी तरह केला और पपीता को पकाने के लिए इथोफोन लिक्विड का इस्तेमाल किया जाता है. जिसे पानी में मिलाकर घोल तैयार किया जाता है और उसमें फल को डुबोकर पकाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. केमिकल के इस्तेमाल के कारण 12 से 15 घंटे में फल पक जाते हैं. उसी तरह सेब को ज्यादा दिनों तक प्रिजर्व रखने के लिए सेब पर वैक्स कोटिंग की जाती है.

देश में अस्ट्रेलिया और अमेरिका से इंपोर्ट होने वाले सेब में वैक्स कोटिंग का इस्तेमाल ज्यादा होता है. जो इंसानी लीवर के लिए खतरनाक होता है. फल जांच के दौरान फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की टीम को पपीता को केमिकल के जरिये पकाने के सबूत तो मिले लेकिन पपीता पर कोई केमिकल नहीं मिला. इसलिए फूड इंस्पेक्टर ने दुकादार को चेतावनी देकर छोड़ दी. 

खाद्य सुरक्षा अधिकारी बताते हैं कि खाद्य पदार्थों में जानलेवा केमिकल इस्तेमाल होने की पुष्टि होने पर 5 लाख का आर्थिक दंड और आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. उसके बावजूद जालसाज लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करना बंद नहीं कर रहे हैं.

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