राज्यपाल फागू चौहान ने अपने अभिनंदन समारोह में अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि यदि मैं पक्ष के बारे में बोलूं तो लोग कहेंगे कि ये बीजेपी के प्रवक्ता बन गए. मैं विपक्ष की तरफ से बोलूं तो बात कुछ और हो जाएगा.
Trending Photos
पटना: बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने अपने अभिनंदन समारोह में अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि यदि मैं पक्ष के बारे में बोलूं तो लोग कहेंगे कि ये बीजेपी के प्रवक्ता बन गए. मैं विपक्ष की तरफ से बोलूं तो बात कुछ और हो जाएगा. जिन्होंने मुझे राज्यपाल बनाया उनको धन्यवाद भी नहीं कह सकता. वही सुशील मोदी ने आरक्षण को लेकर कहा मोहन भागवत के बयान को कुछ लोग तोड़ मड़ोड़ कर पेश कर रहे हैं.
बिहार की राजधानी पटना के बापू सभागार में आयोजित नोनिया, बिंद, बेलदार महासंघ के तत्वाधान में सामाजिक समरसता संगोष्ठी का आयोजन किया गया और इस कार्यक्रम के दौरान बिहार के राज्यपाल फागू चौहान का अभिनंदन भी किया गया. इस मौके पर देश के कई राज्यों बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, पंजाब, उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और पड़ोसी देश नेपाल से भारी संख्या में इस समाज के लोग जुटे थे.
अपनी भषण को शुरू करते ही राज्यपाल ने अपने पद की मर्यादा के बारे में अपनी राय जाहिर की. उन्होंने कहा, मैं संवैधानिक पद पर हूं और मैं किसी तरह का भाषण नहीं दे पाऊंगा. भाषण में या तो पक्ष में बोला जाता है या विपक्ष की आलोचना की जाती है. ये दोनों काम में नही कर पाऊंगा.
अपने भाषण के अगले कड़ी में राज्यपाल ने कहा कि नोनिया, बिंद, बेलदार अलग-अलग प्लेटफार्म पर है उन्हें एक प्लेटफार्म पर आना होगा. इस समाज के लोगों को शिक्षित होना होगा. इस समाज के लोगों की समस्या है नशाखुरानी की है. लोग मजदूरी करते हैं और शराब पी जाते हैं 300 रु कमाते हैं तो 100 रुपया के शराब पी लेते हैं और उसके बाद पत्नी से खाने के लिए झगड़ा करते हैं. इस प्रदेश में 14 % इनकी आबादी है लेकिन सभी कई मायने में पीछे हैं. जिसमे शिक्षा मुख्य है और इस समाज को लोगो को अपने बच्चों को पढ़ाना होगा.
वहीं, राज्यपाल ने अपने गरीबी के दिनों को याद करते हुए वर्तमान सफर तक का जिक्र किया. उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा मैं टाटा-बिरला परिवार से नहीं बल्कि बहुत समान्य परिवार से आता हूं. 1985 में कुछ लोगों ने कहा कि आप चुनाव लड़ जाइये. हमने मना कर दिया, लेकिन दलित मजदूर किसान पार्टी से टिकट देने की बात कही. मां से पैरवी की. माता-पिता से पूछा कि चुनाव लड़ें? उन्हें यह मालूम भी नहीं था कि ई चुनाव क्या होता है? उनके माता-पिता को यही मालूम था कि जो लोग वोट मांगने आते हैं वो भिखमंगी करते हैं. फिर भी चुनाव लड़ा और जीता. एमएलए बनने के बाद कठिन रास्ता था सामंतवादियों ने मुझे खूब परेशान किया, लेकिन मैंने संघर्ष करना नहीं छोड़ा.
वहीं, इस कार्यकम में शिरकत कर रहे बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने की प्रधान मंत्री पिछड़ा और अतिपिछड़ा के लिए काफी काम कर रहे है जिसके कई उदहारण है. आरक्षण पर मोहन भगवत के बयान को कुछ लोग तोड़ मोड़ कर पेश कर रहे हैं, लेकिन जब तक नरेंद्र मोदी हैं, पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म नहीं हो सकता.
बिहार में जात पात की राजनीति कोई नई बात नहीं है जब चुनावी साल आता है तो ऐसे आयोजन होते रहते है लोकसभा के एक सीट और विधान सभा के 5 सीटों पर चुनाव होने है 2020 में विधान सभा चुनाव होने है.