Bihar में अगले 5 सालों में आएगी हरित क्रांति, सरकार ने रोडमैप पर शुरू किया काम: संजय झा
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Bihar में अगले 5 सालों में आएगी हरित क्रांति, सरकार ने रोडमैप पर शुरू किया काम: संजय झा

Bihar Samachar: पंजाब और हरियाणा के बाद हरित क्रांति का तीसरा गवाह बिहार बनने जा रहा है. बिहार सरकार ने हर खेत को पानी देने के मकसद से योजना पर काम शुरू कर दिया है.

संजय झा ने कहा कि अगले साल 5 साल आएगी हरित क्रांति.

Patna: बिहार में अगले पांच सालों में हरित क्रांति आएगी. इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए राज्य सरकार ने अपने रोड मैप पर काम शुरू कर दिया है. इस बात की घोषणा जल संसाधन मंत्री संजय झा ने की है. शुक्रवार को पटना में हर खेत को सिंचाई का पानी विषय पर आयोजित नेशनल कान्फ्रेंस के मौके पर जहां बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री और कृषि मंत्री ने सरकार का विजन रखा वहीं कार्यक्रम में मौजूद विशेषज्ञों ने बिहार की स्थिती पर चिंता जाहिर की.

दरअसल, पंजाब और हरियाणा के बाद हरित क्रांति का तीसरा गवाह बिहार बनने जा रहा है. बिहार सरकार ने हर खेत को पानी देने के मकसद से योजना पर काम शुरू कर दिया है.जानकारी देते हुए, जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया है कि 'हर खेत को पानी से जोड़ने के लिए 18 जनवरी 2021 से सर्वे का काम शुरू किया गया है. योजना को पूरा करने में 5 विभाग लगे हैं. सिंचाई निश्चय नाम से App भी सर्वे के लिए लांच किए गए हैं. अगले 100 दिनों में डेटा बिहार सरकार के पास आ जाएगा.'

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मंत्री ने बताया कि '11 मार्च तक डेटा के अनुसार 58 प्रतिशत ग्राम टोला पंचायतों पर बैठक हो चुकी हैं. 12 हजार 184 योजनओं का चयन भी हो चुका है. 40 .6 प्रतिशत टोला में तकनीकी सर्वेक्षण पूरा हो चुका है. जल्द ही सर्वे का काम पूरा कर योजना को जमीन पर उतारने का काम शुरू हो जाएगा.' बता दें कि सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (CEED) की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया था. जिसमें कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह और कई विशेषज्ञ मौजूद थे.

मंत्री Sanjay Jha ने विशेषज्ञों को बताया कि 'सरकार ने हर खेत तक पानी पहुंचाने के अलावा जल जीवन हरियाली अभियान को सफल बनाने के लिए 24 हजार करोड़ का बजट तय किया है. बिहार सरकार कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए कृषि रोड मैप चला रही है. साल 2022 में तीसरे कृषि रोड मैप का काम पूरा हो जाएगा. कृषि रोड मैप का असर भी दिखने लगा है. गेहूं धान उत्पादन में बिहार पूरे देश में छठे नंबर पर पहुंच चुका है. वहीं, मक्का और सब्जी उत्पादन में तीसरे नंबर पर पहुंचा है.'

झा का कहना है कि 'जब से Nitish Kumar की सरकार आयी है तब से चावल गेहूं मक्का की उत्पादकता दोगुनी हुई है. सरकार 13 जिलों में आर्गेनिक खेती को बढावा देने के लिए योजना चला रही है.' वहीं, गया बोधगया राजगीर में पानी की किल्लत को देखते हुए गंगा के पानी को लिफ्ट कर पहुंचाने की योजना पर भी काम चल रहा है. 148 किलोमीटर तक का रास्ता तय कर 135 लीटर शुद्ध पीने का पानी हर आदमी को दिया जाएगा.

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मंत्री ने फरक्का बराज और बाढ़ (Flood) को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि 'फरक्का बराज हमारे लिए परेशानी है. बिहार सरकार ने नॅशनल शिल्ट पॉलिसी के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है ताकि नदी में गाद और बाढ की समस्या से निदान मिल सके.' इधर, कृषि मंत्री Amrendra Pratap Singh ने भी सेमिनार में अपने विचार रखे. कृषि मंत्री ने कहा कि 'साल 2005 से पहले ऐसे विषयों पर कभी चर्चा नही हुई. कृषि के विषय पर लोग बिहार में नही बात करते थे. आज बिहार में एक संवेदनशील के हाथों में सत्ता है. हालात बदलने की कोशिश हो रही. हमारा ध्यान सिर्फ फसल उत्पादन पर ही नहीं बल्कि शुद्धता पर भी है. बिहार में हर खेत को पानी और हर हाथ को काम देना लक्ष्य है.'

अमरेंद्र ने कहा, 'आजादी के 70 सालो बाद भी सरकारें बदलीं लेकिन व्यवस्था नही बदलीं. तालाब को भरकर भवन बना दिए गए. पोखर कहां गए, पाइन का क्या हुआ किसी को नही पता. सबको अतिक्रमण मुक्त बनाना है. आज की तारीख में ईश्वर ही संकट में है. ईश्वर ही मनुष्य से बोल रहा है कि मेरी रक्षा करो.'

दूसरी ओर कार्यक्रम में मौजूद CEED के सीईओ ने बिहार के सामने कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने को लेकर आ रही चुनौतियों का भी जिक्र किया. सीड के सीईओ ने बताया कि 'बिहार के 16 जिले ऐसे हैं जो क्लाईमेट चेंज की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं. वहीं 14 जिले संवेदनशील इलाके में आते हैं. Climate Change के कारण बिहार को 80 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.'

सीईओ ने बताया कि 'बीते 20 सालों में 14 लाख हेक्टेयर फसल का नुकसान किसानों को झेलना पडा है. इतना ही नहीं 40 वर्षों में 43 फीसदी ग्राउंड वाटर में कमी आई है. बिहार के 30 से 35 फीसदी ही जमीन सिंचित हैं. 70 फीसदी जमीन अभी भी सिंचाई से दूर है. सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए सस्टेनेबल वाटर इरिगेशन की जरूरत है. जालशय का भी सही इस्तेमाल होना चाहिए. वाटर टू एवरी फार्म को जल जीवन हरियाली अभियानों से जोडने की जरुरत है. पानी कृषि और बिजली का संयुक्त अभियान होना चाहिए. अक्षय उर्जा की मदद से सोलर इरिगेसन की ओर काम करने की जरूरत है.'