दहेज के खिलाफ लड़ रहे पलामू के हाजी मुमताज, 800 परिवारों ने वापस की दहेज की रकम
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दहेज के खिलाफ लड़ रहे पलामू के हाजी मुमताज, 800 परिवारों ने वापस की दहेज की रकम

पोखरी कला गांव के 62 वर्षीय हाजी मुमताज अली दहेज के खिलाफ ऐसी मुहिम चला रहे हैं, जिसमें अब तक 800 से ज्यादा परिवारों से दहेज की राशि वापस कराई गई है. 

पोखरी कला गांव के 62 वर्षीय हाजी मुमताज अली दहेज के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं.

पलामू: यूं तो देशभर में मुसलमानों में 'तलाक' को लेकर जमकर राजनीति हो रही है, मगर शरीयत में हराम समझे जाने वाले दहेज को लेकर कभी किसी राजनीतिक दलों द्वारा ठीक ढंग से पहल नहीं की गई. इससे अलग झारखंड के लातेहार जिले के पोखरी कला में दहेज के खिलाफ चला अभियान आज पूरे झारखंड में नई रोशनी दिखा रहा है. 

पोखरी कला गांव के 62 वर्षीय हाजी मुमताज अली दहेज के खिलाफ ऐसी मुहिम चला रहे हैं, जिसमें अब तक 800 से ज्यादा परिवारों से दहेज की राशि वापस कराई गई है. 

लातेहार जिला के पोखरी गांव के रहने वाले जाकिर अंसारी की पुत्री साजदा परवीन की शादी इस्लामपुर गांव के सलीम अंसारी के पुत्र से हुई थी. दहेज के रूप में 1.50 लाख रुपये की मांग के बाद लड़की वालों ने उनकी मांग पूरी की थी. इसके बाद दहेज के खिलाफ मुहिम चल रहे हाजी मुमताज अली की पहल पर शादी के दिन ही दहेज में दी गई पूरी राशि वापस की गई. 

मोहम्मद जाकिर बताते हैं कि गांव में दहेज का लेनदेन आम था, इसीलिए उन्होंने भी नकद रुपये देना सही समझा. जाकिर कहते हैं, "जब दहेज के खिलाफ मुहिम चली तो मेरे समधी ने मुझे दहेज की रकम लौटा दी. मुझे लगता है कि उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि दहेज लेना गलत है और उसके बाद उन्होंने सार्वजनिक तौर पर दहेज लौटाने का फैसला किया."

इसके अलावे पोखरी खुर्द गांव के रहने वाले हदीस अंसारी ने भी अपनी पुत्री रुखसाना खातून के विवाह में लड़के वालों गढ़वा जिला के बेरमा बभंडी निवासी सईद मियां के पुत्र सदरे आलम को दी थी. रुखसाना आज अपने पति के साथ खुश है. 

रुखसाना बताती है, "दहेज के रूप में अब्बा ने कर्जकर उनकी मांग पूरी की थी, मगर शादी से पहले ही समाज के दबाव में पैसा वापस कर दिया गया. आज मुझे फा है कि मैं ऐसे घर की बहू हूं, जिसने अपनी गलती को सुधार करने में हिचक नहीं रखी." 

ऐसा नहीं कि यह कहानी सिर्फ दो परिवारों की है. हाजी मुमताज अली की पहल पर अब तक 800 परिवारों ने ली गई दहेज की राशि वापस की है. बकौल हाजी, "इस अभियान का नतीजा यह रहा कि अप्रैल 2016 से शुरू 'मुतालबा-ए-दहेज' और 'तिलक रोको अभियान' की मदद से छह करोड़ रुपये लड़की वालों को लौटा, गए." हाजी अली कहते हैं कि जबरदस्ती या मांगकर ली गई रकम शरीयत के हिसाब से हराम है. इससे तो विवाह भी वैध नहीं माना जाएगा.

उन्होंने कहा, "इस अभियान के बाद लोगों की दहेज देने और लेने के बारे में सोच बदली है. लोग अब अपनी बेटियों को शिक्षित करने की ओर उन्मुख हुए हैं. यह इस अभियान की सफलता को दर्शाता है." 

हाजी मुमताज अली के इस अभियान में अब इस प्रमंडल के 3,000 से ज्यादा गांव के लोग जुड़े हुए हैं. भविष्य में अपनी योजनाओं के विषय में उनका कहना है कि इस अभियान को वे झारखंड के अन्य क्षेत्रों में भी ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि दहेज वापसी में कई घर उजड़ने से बच जा रहे हैं. (इनपुट: IANS  से भी )