सुशांत केस: सुप्रीम कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई, अदालत ने सुरक्षित किया फैसला, पढ़ें पूरी DETAILS
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सुशांत केस: सुप्रीम कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई, अदालत ने सुरक्षित किया फैसला, पढ़ें पूरी DETAILS

रिया के वकील ने कहा कि FIR को पटना से मुंबई ट्रांफसर किया जाए, महाराष्ट्र सरकार जो चाहे करेगी. वह चाहे तो CBI को दे सकती है.

सुशांत केस: सुप्रीम कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई, अदालत ने सुरक्षित किया फैसला.

पटना: सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच के मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट अब जल्द आदेश जारी करेगा कि जांच मुंबई पुलिस करेगी या सीबीआई.

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच की जरूरत बताई. केन्द्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब पर सवाल उठाया और कहा कि अब तक मुंबई पुलिस ने FIR दर्ज क्यों नहीं की.

केंद्र सरकार ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच ईडी कर रही है जो कि एक केन्द्रीय जांच एजेंसी है. ऐसे में दूसरी जाति एजेंसी राज्य सरकार की नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की ही होनी चाहिए जो कि सीबीआई है.

मुंबई पुलिस जो कर रही है वह सही नहीं
केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि CrPC 174 के तहत दुर्घटना में हुई मौत की शुरुआती जांच बहुत कम समय तक चलती है. शव को देखकर और स्पॉट पर जाकर देखा जाता है कि मौत की वजह संदिग्ध है या नहीं. फिर एफ़आइआर दर्ज होती है, लेकिन इस मामले में मुंबई पुलिस जो कर रही है, वह सही नहीं. 

तुषार मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने अब तक 56 लोगों से पूछताछ की है. अब तक की गई महाराष्ट्र पुलिस की जांच के कोई मायने नहीं है. यह कानूनसम्मत नहीं है, क्योंकि पुलिस ने अभी तक इसमें एफ़आइआर दर्ज नहीं की है.

राज्य की मंजूरी के बिना नहीं हो सकती CBI जांच
वही रिया के वकील श्याम दीवान ने कहा कि सीबीआई जांच बिना राज्य की मंज़ूरी के शुरू नहीं हो सकती है और इस मामले में जांच करने वाला पहला राज्य महाराष्ट्र है. इसलिए महाराष्ट्र सरकार की मंज़ूरी के बिना सीबीआई जांच नहीं हो. 

उन्होंने यह भी कहा कि पहले बिहार पुलिस का एफ़आईआर मुंबई पुलिस के पास ट्रांसफ़र हो, इसके बाद यदि महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच की मंज़ूरी दे तो तभी सीबीआई जांच हो.

बिहार सरकार मामले में बेमतलब दखल दे रही है
वकील ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना संतोषजनक जवाब दायर किया है, जिसमें बताया गया है कि मुंबई पुलिस सही तरीक़े से जांच कर रही है. मुंबई पुलिस 56 लोगों से पूछताछ कर चुकी है, इसलिए जांच मुम्बई पुलिस के पास ही रहनी चाहिए.

रिया के वकील ने कहा कि पटना में दर्ज FIR का घटना से कोई संबंध नहीं है, 38 दिन बाद पटना में FIR दर्ज हुई, बिहार सरकार मामले में ज़्यादा दखल दे रही है

बिहार के सीएम इस मामले का राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं
रिया के वकील ने कहा कि अगर मामले को पटना से मुंबई पुलिस के पास ट्रांसफर नहीं होगा, तो रिया को इंसाफ नहीं मिल पाएगा. वकील ने कहा कि बिहार पुलिस का इस मामले से कोई लेनादेना नहीं है, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री इस मामले में राजनैतिक लाभ लेने के लिए खुद ही सक्रिय हुए हैं.

वकील ने कहा कि रिया, सुशांत से प्यार करती थी, उसे ट्रॉल किया जा रहा है, उसको प्रताड़ित किया जा रहा है.

राजनीतिक दबाव में कौन बिहार या महाराष्ट्र सरकार?
इस मामले पर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राजनैतिक दबाव में बिहार सरकार नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार है जिसने अभी तक भी सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में एफ़आईआर दर्ज नहीं की है.

बिहार सरकार के वकील ने महाराष्ट्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे पर सवाल उठाया जिसमें कहा गया है कि 56 लोगों से पूछताछ हुई है. कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक FIR दर्ज नहीं की है और इस संबंध में हलफनामे में कुछ भी नहीं कहा गया.

सुप्रीम कोर्ट ने रिया के वकील से पूछा कि क्या यह सही है कि आप भी CBI जांच चाहती थीं ?

रिया के वकील की मांग- मुंबई ट्रांसफर करें केस
रिया के वकील ने कहा कि FIR को पटना से मुंबई ट्रांफसर किया जाए, महाराष्ट्र सरकार जो चाहे करेगी. वह चाहे तो CBI को दे सकती है.

हमारे IPS अधिकारी को जबरन किया गया क्वारंटाइन
बिहार सरकार के वकील ने कहा कि बिहार पुलिस के एक IPS अधिकारी को मुंबई में क्वारंटाइन करने के नाम पर डिटेन कर के रखा गया. इन सब बातों को सुप्रीम कोर्ट को ध्यान में रखना होगा कि महाराष्ट्र सरकार का इस मामले को लेकर रवैया क्या है.

बिहार सरकार के वकील ने कहा कि अगर सुशांत के बैंक खाते से 15 करोड़ रुपए गायब हुए हैं तो सुशांत के पिता को पटना में रिपोर्ट दर्ज करवाने का हक था. मुंबई पुलिस ने सिर्फ मीडिया को दिखाने के लिए जांच का दिखावा किया. हकीकत में कोई जांच नहीं की. सही मायनों में 25 जून के बाद कानूनन मुंबई में कोई जांच लंबित नहीं है.

बिहार पुलिस को जांच का कोई अधिकार नहीं
महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक जज की बेंच किसी मामले को सीबीआई को सौंपने के लिए सुनवाई नहीं कर सकती है. कहा कि इस मामले में बिहार पुलिस का जांच का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. इस मामले में सीबीआई खुद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है जो कि सीबीआई खुद किसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार नहीं बन सकती है.

क्या पीड़ित पक्ष तय करेगा, जांच किस राज्य की पुलिस करेगी?
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि इस देश में संघीय ढांचा है, क्या शिकायतकर्ता की सुविधा के लिए कहीं भी मुक़दमा दर्ज कर दिया जाएगा. इस मामले में आपराधिक दंड प्रकिया की हत्या हो रही है. क्या पीड़ित पक्ष तय करेगा कि किस राज्य की पुलिस जांच करेगी. एक राज्य में घटना होती है और उसकी एफ़आईआर और जांच दूसरे राज्य में होती है?

इस केस में चैनलों के एंकर जज बने हुए हैं
महाराष्ट्र सरकार के वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि इस केस को लेकर चैनलों के एंकर और एक्सपर्ट जज बने हुए हैं. CrPC की हत्या की कोशिश हो रही है.

मीडिया में आ रहा है महाराष्ट्र सीएम के बेटे का नाम
सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने कहा कि मीडिया में क्या क्या रिपोर्ट हो रहा है, मैं उसे यहां बताना नहीं चाहता. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बेटे का नाम भी आ रहा है.

पैसे की धोखाधड़ी पटना में हुई, इसलिए दर्ज हुआ केस
वकील विकास सिंह ने कहा कि सुशांत को परिवार से दूर किया जा रहा था. पिता ने बार-बार पूछा कि मेरे बेटे का क्या इलाज हो रहा है? मुझे वहां आने दो. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. मामले में कई पहलू जांच के लायक़ हैं. ऐसा लग रहा है कि सुशांत के गले पर निशान बेल्ट के थे. 

उन्होंने कहा कि सुशांत की बॉडी को किसी ने पंखे से लटका हुआ नहीं देखा. सुशांत के पैसे को लेकर धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात पटना में हुआ था इसलिए एफ़आइआर पटना में दर्ज कराई गई है

मुंबई ट्रांसफर की जाए सुशांत की केस
सुनवाई के अंत में रिया के वकील ने कहा कि हमारी मांग के मुताबिक केस मुंबई ट्रांसफर हो, आगे जो किए जाने की ज़रूरत हो वो इसके बाद हो. इस मामले में जैसे दूसरे राज्य में FIR दर्ज हुई है और फिर उसे CBI को ट्रांसफर किया गया, इसकी अनुमति नहीं दी जाए.