Holi 2021: बिहार का 'वृंदावन', जहां हजारों की भीड़ को कंट्रोल करने के लिए नहीं होती कोई पुलिस
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Holi 2021: बिहार का 'वृंदावन', जहां हजारों की भीड़ को कंट्रोल करने के लिए नहीं होती कोई पुलिस

Holi 2021:  समस्तीपुर जिले के रोसड़ा के भिरहा गांव की होली पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध है. भिरहा की होली इतनी प्रसिद्ध है कि इसकी तुलना वृंदावन से की जाती है. 

बिहार का 'वृंदावन', जहां हजारों की भीड़ को कंट्रोल करने के लिए नहीं होती कोई पुलिस. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Samastipur:  होली का नाम सुनते ही लोगों के ऊपर रंगों का खुमार चढ़ने लगता है. रंगो के त्यौहार होली की ऐसी उमंग होती है, जहां लोग उम्र की सीमा भूल कर रंगों के खुमार में डूब जाते हैं. कुछ ऐसा ही रंगों का खुमार चढ़ाने वाली होली बिहार के समस्तीपुर में खेली जाती है. 

समस्तीपुर जिले के रोसड़ा के भिरहा गांव की होली पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध है. भिरहा की होली इतनी प्रसिद्ध है कि इसकी तुलना वृंदावन से की जाती है. वैसै तो होली का त्यौहार सोमवार को पूरे भारत में मनाया जाएगा, लेकिन भिरहा में लोग होली की इंतजार ना जाने कब से कर रहे हैं. यहां के लोगों की होली की तैयारी आखिरी दौर में हैं. 

वृंदावन से होती है तुलना

भिरहा गांव के लोगों को होली का इंतजार रहता है, क्योंकि यहां की होली काफी खास है. इस होली में मजहब, समुदाय, जाति, धर्म की सारी दीवारें खत्म हो जाती है. यहां रंगों के त्यौहार की अनोखी होली काफी प्रसिद्ध भी है. भिरहा का होली की तुलना वृंदावन की होली से होती है. इस होली की तैयारी आखिरी चरण में है. होली में लोग सभी समुदाय से चंदा इकट्ठा कर होली का त्यौहार मनाते हैं. यहां के लोग होली के दिन रंग बिरंगी लाइटों से पूरे गांव को दुल्हन की तरह सजाते हैं.

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गांव के सारे लोग एक साथ मनाते हैं होली

भिरहा गांव की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां गांव के 3 टोले में होली का उत्सव काफी जोर-शोर से मनाया जाता है. इस होली में महिला, बच्चे कहें तो हर उम्र के लोग खुलकर होली मनाते हैं. लेकिन सबसे जो चौंकाने वाली बात होती है हजारों की भीड़ में कहीं भी एक भी सुरक्षाकर्मी या पुलिसवाला नजर नहीं आता है.

यू कहें तो, इस सामाजिक सौहार्द का प्रतीक होली के इस महात्यौहार रंगों के उन्माद के बीच सभी एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं और किसी भी प्रकार की कभी आज तक गड़बड़ी नहीं हुई. होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन की संध्या से ही पूरब, पश्चिम एवं उत्तर टोले में निर्धारित स्थानों पर अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन जारी रहता है. 

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जीतने वाले को दिया जाता है पुरस्कार

इस खास होली के मौके पर यहां देश भर के अलग-अलग जगह से आए मशहूर बैंड पार्टी के बीच कंपटीशन होता है. प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले को पुरस्कार से भी नवाजा जाता है. इस दौरान क्षेत्र के हजारों लोग उपस्थित रहते हैं. बड़े- बड़े तोरण द्वार और चमचमाते रोशनी के बीच सम्पूर्ण गांव पूरी रात जगमगाहट से भरा रहता है. होली के दिन भी नृत्य का आनन्द लेने के पश्चात तीनों टोली दोपहर बाद गांव में स्थित फगुआ पोखर पहुंचते हैं, जहां पूरे गांव के रंगो की पिचकारी से पोखर का पानी को गुलाबी रंग किया जाता है. इसके पश्चात गाने की धुन पर एक दूसरे को रंग डालकर जश्न मनाते हैं.

भिरहा की होली ना सिर्फ मिथिलांचल में बल्कि प्रदेश स्तर पर इसकी एक अलग पहचान है. निश्चित रूप से भिरहा की होली का विहंगम नजारे लोगों का ना सिर्फ मन मोहती है, बल्कि पूरे समाज को एक अलग संदेश भी देती है.

(इनपुट-संजीव नैपुरी)