आयुर्वेद सर्जरी पर IMA ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी, खुली बहस की दी चुनौती
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आयुर्वेद सर्जरी पर IMA ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी, खुली बहस की दी चुनौती

उन्होंने कहा कि डॉक्टर सर्जरी सीखने के लिए अपना लंबा समय देते हैं. हमलोग सिर्फ सांकेतिक स्ट्राइक कर रहे हैं ताकि सरकार इससे इत्तेलाह हो जाए. अगर इससे काम नहीं बना तो आगे भी लड़ाई जारी रहेगी.

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पटना: मोदी सरकार की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. एक तरफ किसान और विपक्ष कृषि बिल के खिलाफ लगातार आंदोलन पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ अब देश के डॉक्टर भी सड़कों पर उतरने की तैयारी कर चुके हैं. देश में एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की लड़ाई अब सतह पर आ चुकी है. केन्द्र सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की मंजूरी दे दी है. जिसके बाद आईएमए सरकार के फैसले के खिलाफ सड़क पर आ गयी है. 

11 तारीख को आईएमए की तरफ से एक दिन का स्ट्राईक कॉल किया गया है. वहीं आईएमए के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सहजानंद सिंह ने मांग नहीं माने जाने पर अनिश्चितकालीन स्ट्राईक पर जाने के लिए मजबूर होने की बात कही है. जबकि आईएमए के फैसले को देखते हुए आयुर्वेद के जानकारों ने सर्जरी के मसले पर खुली बहस की चुनौती दे दी है.

देश के मरीज अब ऐलोपैथ बनाम आयुर्वेद की लड़ाई में पिसेंगे. आयुर्वेद को सर्जरी की मंजूरी दिये जाने से ऐलोपैथ के डॉक्टर बेहद नाराज हो गये हैं. नाराज डॉक्टरों की डिमांड पर आईएमए ने शुक्रवार को राष्ट्रीय स्तर पर स्ट्राईक का ऐलान कर दिया है. इमरजेंसी और कोविड सेवाओं को छोड़ बाकी सभी चिकित्सा व्यवस्था ठप्प रहेंगी. इस स्ट्राइक में सरकारी और निजी दोनों तरह के हॉस्पिटल और क्लीनिक बंद रहेंगे.

आईएमए के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सहजानंद सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार देश में बेहतर योजनाएं चला रही हैं, लेकिन इस फैसले के बारे में सरकार को सोचना होगा. आखिर एक आयुर्वेद डॉक्टर सर्जरी कैसे कर सकता है. हम मरीजों की जान से नहीं खेल सकते हैं. अभी हम सांकेतिक तौर पर एक दिन का स्ट्राइक कर रहे हैं. हम नहीं चाहते हैं कि मजबूरन डॉक्टरों को अनिश्चितकालीन स्ट्राइक पर जाना पड़े. हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी मांगों पर गंभीरता से विचार करेंगी.

आयुर्वेद को सर्जरी की ईजाजत मिलने के बाद उठ रहे सवालों का जवाब लेने हमारी टीम पटना के राजकीय आयुर्वेद कॉलेज हॉस्पिटल पहुंची. हमारी टीम ने जैसे ही आयुर्वेद कॉलेज के प्रिंसिपल से आयुर्वेद डॉक्टरों की सर्जरी से जुड़े सवाल का जवाब पूछा तो प्रिंसिपल दिनेश्वर प्रसाद ने हमें आयुर्वेद के जरिये मिल रही चिकित्सा व्यवस्था की पूरी जानकारी दे दी. एनाटॉमी डिपार्टमेंट से लेकर आयुर्वेद हॉस्पिटल में चल रहे ऑपरेशन थियेटर को भी दिखा दिया.

दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि आयुर्वेद की पढ़ाई में पहले से ही एमएस की पढ़ाई हो रही है. ऐसा नहीं है कि सरकार के आदेश के बाद पढ़ाई का काम शुरू हुआ है. संविधान में आयुर्वेद चिकित्सा को सम्मानित जगह दिये जाने की वकालत 1950 में ही की गयी थी, लेकिन वो अधिकार 70 सालों बाद आयुर्वेद को मिल रही है. जिस तरह की पढ़ाई एमबीबीएस के स्टूडेंट करते हैं उसी तरह की पढ़ाई आयुर्वेद के स्टूडेंट भी करते हैं. 

आयुर्वेद कॉलेज में एनोटॉमी डिपार्टमेंट से लेकर सर्जरी डिपार्टमेंट तक की व्यवस्था है. ऐसे में आयुर्वेद को उसको हक दिये जाने के नाम पर आईएमए का विरोध बिलकुल गलत है. आयुर्वेद कॉलेज के प्रिंसिपल ने तो सर्जरी के मामले में आईएमए के सदस्यों को खुली बहस की चुनौती तक दे डाली.

वहीं आयुर्वेद कॉलेज में सर्जरी डिपार्टमेंट की एचओडी ने बताया कि आयुर्वेद का विरोध करनेवाले डॉक्टरों को पहले सरकार का गजट और आयुर्वेद का सिलेबस पढ़ना चाहिए. सरकार की ओर से सामान्य 58 तरह की सर्जरी को आयुर्वेद में मंजूरी दी गयी है. जो मेजर सर्जरी हैं या फिर जिस सर्जरी को स्पेशलिस्ट की श्रेणी में रखा गया है, वहां आयुर्वेद को इजाजत नहीं दी गयी है. उसे एलोपैथ के स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही करेंगे.

इधर, सरकार के फैसले को लेकर ऐलोपैथ डाक्टरों के विरोध पर सरकार को भी खुलकर बोलते नहीं बन रहा. एक तरफ किसानों का आंदोलन चल ही रहा था कि दूसरी तरफ डाक्टर भी आंदोलन के लिए मैदान में कूद पड़े हैं, लेकिन इसके बीच केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा है कि वो डॉक्टरों के साथ मिलकर बातचीत करेंगे. कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आएगा.  

इस बात में कोई दो राय नहीं कि एलोपैथ और आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा पद्धति के महत्वपूर्ण अंग हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि सरकार बढते मरीजों की संख्या को देखते हुए अब आयुर्वेद को भी चिकित्सा की मुख्यधार से जोडकर मरीजों के इलाज की रणनीति पर काम करना चाहती है. लेकिन ऐलोपैथ के डाक्टर सरकारी फैसले को मानने को तैयार नहीं. ऐसे में एकबार फिर आयुर्वेद की राह देश में मुश्किल नजर आती दिख रही है.