रेलवे करेगी PPE किट का निर्माण, उत्पादन का 50 प्रतिशत अन्य डॉक्टरों को कराएगी उपलब्ध
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रेलवे करेगी PPE किट का निर्माण, उत्पादन का 50 प्रतिशत अन्य डॉक्टरों को कराएगी उपलब्ध

राजेश कुमार ने कहा कि यह पोशाक कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जुटे डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने में प्रोत्साहन प्रदान करेगा.

यह चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने में प्रोत्साहन प्रदान करेगा.

हाजीपुर: मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने कहा है कि भारतीय रेल ने अपनी कार्यशालाओं में पीपीई-पोशाक के उत्पादन की शुरूआत की है. जगाधरी कार्यशाला के द्वारा तैयार पीपीई-पोशाक को हाल ही में डीआरडीओ (DRDO) से मंजूरी मिली है, जो इस कार्य के लिए अधिकृत संस्था है.

उन्होंने कहा कि मंजूर किए गए डिजाइन और सामग्री के आधार पर विभिन्न जोन स्थित कार्यशालाएं सुरक्षा प्रदान करने वाली इन पोशाकों का निर्माण करेंगी. रेलवे अस्पतालओं में कोविड-19 (COVID-19) मरीजों की देखभाल में जुटे फ्रंटलाइन डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को पीपीई-पोशाक से काफी मदद होगी.

रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए इन सुरक्षात्मक पोशाकों के निर्माण हेतु सुविधाएं तैयार की जा रही हैं. साथ ही प्रतिदिन 1000 पोशाकों का उत्पादन किया जाएगा और करीब 17 कार्यशालाएं इस काम में लगी हैं. रेलवे पीपीई-पोशाक के कुल उत्पादन के 50 प्रतिशत को देश के अन्य चिकित्साकर्मियों के लिए उपलब्ध कराएगा.

पोशाक के लिए सामग्री की खरीद केन्द्रीकृत रूप में जगाधरी कार्यशाला द्वारा की जा रही है. जो पंजाब के कई बड़े कपड़ा उद्योगों के पास है. आनेवाले दिनों में उत्पादन सुविधाओं को और बढ़ाया जाएगा. राजेश कुमार ने कहा कि पोशाक के विकास और रेलवे के नवाचार को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जुटे अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा भी स्वागत किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इस पीपीई-पोशाक के तकनीकी विवरण और सामग्री आपूर्तिकर्ता दोनों तैयार हैं. अब उत्पादन सही तरीके से शुरू किया जा सकता है. यह पोशाक कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जुटे डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने में प्रोत्साहन प्रदान करेगा.

बता दें कि रेलवे का यह आंतरिक प्रयास भारत सरकार को किए गए एक अनुरोध पर आधारित है और मांग के अनुरूप एचएलएल (HAL) को भी जानकारी दी गई है. राजेश कुमार ने कहा कि इतने कम समय में पीपीई का विकास करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जिसका अनुसरण अन्य एजेंसियां भी करना चाहेंगी. इससे फ्रंटलाइन चिकित्साकर्मियों के लिए जरूरी सुरक्षात्मक पोशाक के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.