जमशेदपुर: भारत के पूर्व तेज गेंदबाज वरुण आरोन झारखंड और राजस्थान के बीच चल रहे रणजी ट्रॉफी मैच के बाद लाल गेंद क्रिकेट को अलविदा कहेंगे, लेकिन फिलहाल वो सफेद गेंद से क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे. रेड-बॉल क्रिकेट में वरुण आरोन की यात्रा 2008 में शुरू हुई जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर के खिलाफ रणजी ट्रॉफी लीग मैच में झारखंड के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया. उनकी तेज गति और प्रतिभा ने उन्हें जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंचा दिया. उन्होंने 2011 में वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में भारत के लिए डेब्यू किया. एक महीने बाद, उन्होंने उसी स्थान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में भी डेब्यू किया.


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वरुण आरोन ने कहा, "मैं 2008 से रेड बॉल क्रिकेट खेल रहा हूं. चूंकि मैंने तेज गेंदबाजी की, इसलिए मुझे कई चोटें लगीं. अब मैं समझता हूं कि मेरा शरीर मुझे रेड बॉल क्रिकेट में तेज गेंदबाजी जारी रखने की इजाजत नहीं देगा, इसलिए मैंने इसे छोड़ने का फैसला किया है. यह मेरे परिवार और जमशेदपुर के लोगों के सामने मेरा आखिरी मैच हो सकता है, क्योंकि हम अक्सर यहां सफेद गेंद मैच नहीं खेलते हैं. मैंने अपना करियर यहीं से शुरू किया था, इसलिए यह मेरे लिए काफी भावनात्मक है."


चोटों के कारण कई असफलताओं को सहने के बावजूद आरोन का जुनून अटूट रहा. उनकी आक्रामक गेंदबाजी शैली ने क्रिकेट जगत पर अमिट छाप छोड़ी, जिसमें इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड को खतरनाक बाउंसर जैसे यादगार क्षण शामिल हैं, जिससे 2014 में ओल्ड ट्रैफर्ड में एक टेस्ट मैच के दौरान ब्रॉड की नाक टूट गई थी. टीम इंडिया के साथ उनका करियर 2015 में समाप्त हो गया. हालांकि, उस दौरान उन्होंने नौ टेस्ट (52.61 पर 18 विकेट) और नौ वनडे (38.09 पर 11 विकेट) खेले. अपने 65 प्रथम श्रेणी मैचों में, उन्होंने 33.74 की औसत से 168 विकेट लिए. आरोन को इंग्लिश काउंटी सर्किट में डरहम के लिए खेलने का भी मौका मिला. क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने की दौड़ से बाहर हो चुके झारखंड के लिए यह रणजी सीजन का आखिरी मैच होगा।


इनपुट- आईएएनएस


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