लालू चाहते हैं गठबंधन मामले में शीघ्रता दिखाएं नीतीश
Advertisement

लालू चाहते हैं गठबंधन मामले में शीघ्रता दिखाएं नीतीश

जनता परिवार के विलय को लेकर व्याप्त अनिश्चितता के बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने सोमवार को इस मामले में नीतीश कुमार के साथ जारी चुप्पी को तोड़ते हुए कहा कि वह अपनी पार्टी तथा जदयू के विलय अथवा राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए व्यापक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने जैसे दोनों विकल्पों के लिए तैयार हैं।

लालू चाहते हैं गठबंधन मामले में शीघ्रता दिखाएं नीतीश

पटना : जनता परिवार के विलय को लेकर व्याप्त अनिश्चितता के बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने सोमवार को इस मामले में नीतीश कुमार के साथ जारी चुप्पी को तोड़ते हुए कहा कि वह अपनी पार्टी तथा जदयू के विलय अथवा राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए व्यापक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने जैसे दोनों विकल्पों के लिए तैयार हैं।

बिहार के इन दोनों दलों के प्रस्तावित विलय को लेकर शुरू में काफी उत्साह दिखाने के बाद बताया जाता है कि लालू ने इस मामले में रूचि लेना कम कर दिया था। हालांकि आज उन्होंने पहली बार स्वीकार किया कि अनिश्चितता बरकरार रखने से अप्रिय माहौल बनता है।

राजद प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं अब कह रहा हूं कि हमें महागठबंधन में शीघ्रता करनी चाहिए। जदयू को कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से भी उनकी मांगों एवं इच्छाओं के बारे में बातचीत करनी चाहिए। यदि आप राष्ट्रीय जनता दल एवं जदयू के बीच विलय चाहते हैं तो मैं तैयार हूं। हम लोग आज ही बैठ जाते हैं और इसे अंतिम रूप दे लेते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘नेतृत्व एवं मुख्यमंत्री उम्मीदवार सहित सभी मुद्दे तभी हल हो सकेंगे जब गठबंधन को अंतिम रूप दे लिया जायेगा।’ बताया जाता है कि राजद एवं जदयू के बीच विलय का सबसे बड़ा रोड़ा जदयू द्वारा इस बात पर अड़े रहना है कि विलय के बाद बनने वाले दल में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाये। लालू ने अभी तक नीतीश को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने पर सहमति नहीं जतायी है।

लालू ने जीतनराम मांझी को व्यापक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन में शामिल होने की सार्वजनिक पेशकश कर नीतीश को अप्रसन्न किया है। पूर्व मुख्यमंत्री मांझी नीतीश के अब पसंदीदा नहीं रह गये हैं।

जनता परिवार से निकले छह दलों के विलय को लेकर समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में छह दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन इन बातचीत में बिहार के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी।