तेजस्वी यादव 16 जनवरी से करेंगे बिहार का दौरा, JDU बोली- 'पहले निकालें प्रायश्चित यात्रा'
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तेजस्वी यादव 16 जनवरी से करेंगे बिहार का दौरा, JDU बोली- 'पहले निकालें प्रायश्चित यात्रा'

तेजस्वी अपनी यात्रा के जरिए सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) को लेकर लोगों को जागरुक करेंगे. साथ ही नीतीश सरकार के 15 सालों में हुए कामों की पोल भी खोलेंगे.

जेडीयू नेता राजीव रंजन ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है. (फाइल फोटो)

पटना: सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बाद बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी अपनी यात्रा पर निकलने वाले हैं. तेजस्वी यादव के यात्रा की तारीख तय हो चुकी है. 16 जनवरी से सीमांचल से तेजस्वी अपनी यात्रा की शुरुआत करेंगे.

पहले चरण की यात्रा 20 जनवरी तक चलेगी. अपने यात्रा की शुरुआत तेजस्वी किशनगंज से करेंगे. उसके बाद पूर्णिया, अररिया और कटिहार में भी तेजस्वी की यात्रा होगी. तेजस्वी अपनी यात्रा के जरिए सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) को लेकर लोगों को जागरूक करेंगे. साथ ही नीतीश सरकार के 15 सालों में हुए कामों की पोल भी खोलेंगे.

तेजस्वी की यात्रा को लेकर पार्टी ने तैयारी शुरु कर दी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह ने कहा कि नए साल का आगाज हमने संकल्प के साथ किया है. एक तारीख को पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जश्न नहीं मनाया, बल्कि पार्टी ऑफिस में संकल्प लिया. उन्होंने कहा कि 5 तारीख को हम लोग केंद्र और राज्य सरकार का सभी जिले में पुतला जलाएंगे. 11 तारीख को पार्टी का धरना प्रदर्शन होगा और 16 जनवरी से तेजस्वी अपनी यात्रा पर लोगों को जागरूक करने बिहार की जनता के बीच जाएंगे.

इधर, तेजस्वी की यात्रा को लेकर जेडीयू ने हमला बोला है. पार्टी के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होने जा रहा है. ऐसे में तेजस्वी की सीमांचल से शुरु होने वाली यात्रा का कोई मतलब नहीं रहा जाता. उन्होंने कहा कि अगर तेजस्वी को यात्रा निकालनी ही है तो वह प्रायश्चित यात्रा निकालें. जनता को 1990 से लेकर 2005 तक के अपने किए कारगुजारियों का हिसाब देना चाहिए. ये वही समय है जब भ्रष्टाचार और अपराध बिहार में चरम पर था.

बता दें कि तेजस्वी की यात्रा को नीतीश कुमार की जल जीवन हरियाली यात्रा का जवाब माना जा रहा है. हलांकि पार्टी तेजस्वी की इस यात्रा का मकसद सीएए और एनआरसी के इर्द-गिर्द रखना चाहती है. क्योंकि आरजेडी ने सीएए और एनआरसी को सिर्फ अल्पसंख्यकों तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि इससे दलित और पिछडों को भी जोड़ दिया है. जिसके जरिए पार्टी बिहार के एक बड़े वोट बैंक को अपने तरफ खींचना चाहती है.