जामताड़ा में नेता नहीं जनता कर रही सियासत, सभी घरों पर लहरा रहे सभी दलों के झंडे
बीजेपी का झंडा बुलंद हो, महागठबंधन का झंडा बुलंद हो, अरे नहीं आजसू का झंडा बुलंद हो, जेवीएम का झंडा बुलंद हो, अरे नहीं-नहीं निर्दलीय का. भले घर एक है लेकिन झंडे सभी पार्टियों के हैं.
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जामताड़ा: झारखंड विधानसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में है. 20 दिसम्बर को मतदान होंगे. ऐसे में सभी दल सियासी बयानबाजी और वादों के जरिये लोगों का मत अपने पक्ष में करने का आखरी दम लगा रहे हैं. लेकिन जामताड़ा विधानसभा की तस्वीर खास है. क्योंकि मतदान से पहले यहां की जनता सियासत कर रही है. दरअसल, इलाके के घरों में सभी दलों के झंडों ने सियासतदानों को संशय में डाल दिया है कि आखिर जनता किसके पक्ष में है.
बीजेपी का झंडा बुलंद हो, महागठबंधन का झंडा बुलंद हो, अरे नहीं आजसू का झंडा बुलंद हो, जेवीएम का झंडा बुलंद हो, अरे नहीं-नहीं निर्दलीय का. भले घर एक है लेकिन झंडे सभी पार्टियों के हैं.
जामताड़ा विधानसभा के विभिन्न प्रत्याशी इस कन्फ्यूजन की वजह से अपना सिर खुजलाने पर मजबूर हैं लेकिन बेचारे करे तो करे क्या. बस जीत का दावा ही कर रहे हैं. दरअसल, किसी के घर या दफ्तर में किसी भी पार्टी का झंडा इस इशारे के लिए काफी होता है कि वहां से किसको समर्थन मिलने वाला है, लेकिन जामताड़ा विधानसभा की जनता ने यह क्या कर दिया. इन्होंने तो पूरे सियासी दलों को ही कन्फ्यूज कर दिया है.
एक-एक मकान पर बीजेपी, जेवीएम, कांग्रेस, आजसू यहां तक की निर्दलीयों का भी झंडा लगा है. लोगों की मानें तो सभी सियासी दल के कार्यकर्ता उनके अपने हैं. इसीलिए वे किसी को नाराज नहीं करते. उन्हें भी सियासत आती है.
जनता का साफ कहना है कि सियासी दलों को थोड़ा तो कन्फ्यूज होने दीजिए. क्योंकि आज भले ही हर प्रत्याशी दरबाजे पर हाथ जोड़े खड़े हो रहे हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सभी लापता हो जाते हैं. उन्हें मालूम है कि लोग किसे वोट दे रहे हैं. वह इसे जगजाहिर नहीं करना चाहते ताकि सब खुश रहें और चुनाव के रिजल्ट के बाद भी वह कह सकते हैं कि हमारा ही नेता तो चुनाव जीता है.
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