झारखंड चुनाव: कांग्रेस ने रांची में बीजेपी से मुकाबला को जेएमएम को किया आगे
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झारखंड चुनाव: कांग्रेस ने रांची में बीजेपी से मुकाबला को जेएमएम को किया आगे

जेएमएम ने यहां से एकबार फिर महुआ माजी को अपना प्रत्याशी बनाया है. दीगर बात है कि कांग्रेस को यह सीट छोड़ने को लेकर कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है. 

 

गठबंधन के तहत यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के हिस्से दे दी गई है.

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में राजधानी रांची सीट सबसे 'हॉट सीट' मानी जा रही है. लगातार छह चुनावों से रांची सीट जीतती आ रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जहां एकबार फिर सी.पी. सिंह को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की है, वहीं लगातार हारती रही कांग्रेस ने इस बार रांची से चुनाव न लड़ने का फैसला करते हुए गठबंधन के तहत यह सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के हिस्से दे दी है. 

जेएमएम ने यहां से एकबार फिर महुआ माजी को अपना प्रत्याशी बनाया है. दीगर बात है कि कांग्रेस को यह सीट छोड़ने को लेकर कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है. 

तीसरे चरण के मतदान के लिए रांची जिले की पांच विधानसभा सीटों के लिए शनिवार को अधिसूचना जारी कर दी गई. रांची, सिल्ली, कांके, खिजरी और हटिया विधानसभा सीट पर चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन भी शुरू हो गया है. उम्मीदवार 25 नवंबर तक अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे. 26 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी. नाम वापसी की तारीख 28 नवंबर है. इन सीटों पर मतदान 12 दिसंबर को होगा.

जेएमएम ने पिछले चुनाव में भी महुआ माजी को प्रत्याशी बनाया था. उन्हें सी.पी. सिंह ने करीब 59 हजार मतों से पराजित कर दिया था. उस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह को सिर्फ 7,935 मत मिले थे, यानी वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे. 

कहा जा रहा है कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ने यह सीट जेएमएम की झोली में डाल दी है. आंकड़ों पर गौर करें तो कांग्रेस इस सीट पर लगातार पिछड़ती रही है. वर्ष 2009 में रांची सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को प्रदीप तुलस्यान को 39,050 मत मिले थे. वर्ष 2005 में हुए चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी गोपाल प्रसाद साहु को 48,119 मत मिले थे. यही वजह है कि इस बार कांग्रेस यहां से खुद चुनाव नहीं लड़ रही है.

इधर, वर्ष 1990 में हुए चुनाव के बाद से यह सीट बीजेपी के पास है. वर्ष 1990 में बीजेपी के गुलशन लाल आजमानी ने इस सीट पर पर जीत दर्ज कर यह सीट बीजेपी की झोली में डाल दी थी, तब से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार है.

वर्ष 1995 में हुए चुनाव में इस सीट से बीजेपी ने यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया, परंतु एक साल के बाद ही वह राज्यसभा चले गए और 1996 में यहां उपचुनाव हुआ. बीजेपी ने इस चुनाव में सी.पी. सिंह को पहली बार चुनावी मैदान में उतारा और वे पहली बार विधायक बने. तब से अब तक इस सीट से सिंह जीत दर्ज करते आ रहे हैं. 

राजनीति के जानकार कहते हैं कि इस चुनाव में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होगा. राजनीति के जानकार और रांची के वरिष्ठ पत्रकार संपूर्णानंद भारती मानते हैं कि यह राज्य की सबसे प्रमुख सीटों में से एक है, इस कारण सभी दल इस सीट पर कब्जा जमाना चाहेंगे. 

भारती का मानना है, 'कांग्रेस इस चुनाव में मैदान में नहीं है. बीजेपी जहां इस सीट को खोना नहीं चाहेगा, वहीं जेएमएम अपने सहयोगी कांग्रेस के मैदान में नहीं होने का लाभ उठाते हुए 29 सालों से बीजेपी के कब्जे वाली इस सीट को किसी भी प्रकार छीनने की कोशिश करेगी. इस कारण मुकाबला दिलचस्प होगा.'

पिछले चुनाव में इस सीट से 17 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी, जिसमें 15 की जमानत जब्त हो गई थी.