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आनंद प्रियदर्शी/चाईबासा : कोल्हान में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार हर प्रयास में जुटी है. सरकार किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए खेती के नये-नये तरीकों से जोड़ने में लगी है. इसी क्रम में पश्चिम सिंहभूम जिला के तांतनगर प्रखंड के कई गांवों में किसानों को टपक विधि से खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस विधि में सब्जी के उत्पादन पर खास जोर दिया है. इसके तहत कम पानी में अधिक उत्पादन किया जा सकता है. इसलिए इसे टपक विधि कहा जाता है.
टपक इजरायल की एक आधुनिक विधि है, जिसमें फसल तैयार करने के लिए काफी कम पानी की जरूरत होती है. पाइप के माध्यम से एक-एक पौधे को थोड़ा-थोड़ा पानी दिया जाता है. मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए इसे प्लास्टिक से ढंक दिया जाता है.
इस विधि में 25 डिसमिल खेत में दिन भर में केवल 400 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है. एक घंटे में पूरे 25 डिसमिल जमीन की सिंचाई हो जाती है. इसलिए यह विधि बेहद आसान है. किसान भी इस विधि को अपना रहे हैं. इसमें महिला समिति के माध्यम से महिला किसानों को अधिक जोड़ा जा रहा है.
कोल्हान में फसलों के लिए पानी की समस्या सबसे अधिक होती है, इसलिए किसान एक फसल के बाद खेती नहीं कर पाते हैं. टपक विधि से किसान एक दो नहीं, बल्कि कई फसल का उत्पादन कर सकते हैं. इसमें उन किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिनके पास कम जमीन है. ऐसे किसान अपनी 25 डिसमिल जमीन पर ही मेढ़ बनाकर टपक विधि से सब्जी का उत्पादन कर सकते हैं. किसान कम समय में ही कई सब्जी का उत्पादन कर सकते हैं. ज्यादा मेहनत करने की भी जरूरत नहीं होती है. इसमें किसान को पहली बार 15 हजार की पूंजी लगानी होती है और सारी विधि और यंत्र सरकार मुफ्त देती है.
कोल्हान के किसान इस नई टपक विधि से खेती को लेकर काफी उत्साहित भी हैं. तांतनगर प्रखंड के करीब 100 ज्यादा किसानों ने इस विधि को अपनाकर पहली बार खेती में जुट गए हैं.
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