झारखंड सरकार ने मंगलवार को राज्य में जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले विधेयक के प्रारूप को अपनी स्वीकृति दे दी. एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया. उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने ‘झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक, 2017’ के प्रारूप को आज अनुमोदित कर दिया.
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रांची : झारखंड सरकार ने मंगलवार को राज्य में जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले विधेयक के प्रारूप को अपनी स्वीकृति दे दी. एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया. उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने ‘झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक, 2017’ के प्रारूप को आज अनुमोदित कर दिया. राज्य सरकार अब इस बिल को विधानसभा में पेश करेगी.
तीन से चार साल की कैद का प्रावधान
इस विधेयक की धारा 3 में बलपूर्वक धर्मांतरण निषिद्ध किया गया है. धारा 3 के उल्लंघन के लिए तीन वर्षों तक के कारावास या 50 हजार रुपए तक के जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है. नए कानून के प्रावधान के अनुसार यदि यह अपराध नाबालिग महिला, अनुसूचित जाति या जनजाति के प्रति किया गया है तो कारावास 4 सालों तक का और जुर्माना एक लाख रुपए तक का होगा.
बीजेपी ने किया विधेयक का स्वागत
बीजेपी ने धर्मातरण पर रोक लगाने वाले ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2017’ का स्वागत करते हुए कहा कि जबरन धर्मातरण राष्ट्रविरोधी गतिविधि है और इसे हर हाल में रोका जाना चाहिए. झारखंड प्रदेश बीजेपी के महामंत्री सह मुख्यालय प्रभारी दीपक प्रकाश ने कहा कि पार्टी राज्य मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत नए धर्मांतरण निरोधी विधेयक का स्वागत करती है क्योंकि इससे राष्ट्र और विषेषकर आदिवासी संस्कृति की रक्षा हो सकेगी.
दीपक प्रकाश ने कहा कि झारखंड में पूर्व में आदिवासियों और शोषितों के बड़े पैमाने पर प्रलोभन एवं जोरजबर्दस्ती से धर्म परिवर्तन का इतिहास रहा है जिसे देखते हुए ऐसे कानून की लंबे समय से आवश्यकता थी.