Jharkhand Samachar: मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत की भावना खत्म हो गयी है. अगर वह अपना कार्य नहीं कर पा रहे हैं, तो इस्तीफा देकर चले क्यों नहीं जाते?
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Ranchi: झारखंड उच्च न्यायालय ने रांची के सिविल सर्जन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 'सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत खत्म हो गयी है, अगर वह काम नहीं कर पा रहे हैं, तो इस्तीफा देकर चले क्यों नहीं जाते? खंडपीठ की नाराजगी रिम्स (RIMS) की लाचर व्यवस्था से जुड़ी एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सिविल सर्जन के जवाब को लेकर थी.'
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) से जुड़े कर्मियों का सैंपल पिछले 4 दिनों से जांच के लिए नहीं भेजा जा रहा है. 5 तारीख को सैंपल लिया गया था लेकिन अब तक जांच क्यों नहीं हुई? साथ हीं, खंडपीठ ने सिविल सर्जन से पूछा कि सैंपल रख कर क्या कर रहे हैं? हाईकोर्ट के कर्मियों के साथ ऐसा सुलूक है, तो सिविल सर्जन आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे होंगे?
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वहीं, मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत की भावना खत्म हो गयी है. अगर वह अपना कार्य नहीं कर पा रहे हैं, तो इस्तीफा देकर चले क्यों नहीं जाते? इसी संबंध में सुनवाई के दौरान उपस्थित राज्य के स्वास्थ्य सचिव को मौजूदा स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि सिविल सर्जन की लापरवाही के कारण लिए गए सैंपल सड़ रहे हैं. साथ हीं, 80 प्रतिशत सैंपल की जांच नहीं हुई है. इस तरह का रवैया लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है.
उन्होंने सभी बिंदुओं पर सिविल सर्जन से विस्तृत शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई के लिए सोमवार की तिथि निर्धारित की गयी है और अगली सुनवाई में राज्य के स्वास्थ्य सचिव, RIMS के निर्देशक और सदर अस्पताल (Sadar Hospital) के सिविल सर्जन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.