Jharkhand: सड़क हादसे में घायल जंगू ऊराओं को 8 साल बाद मिला इंसाफ, कोर्ट ने दिलाया 4.35 लाख का चेक
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Jharkhand: सड़क हादसे में घायल जंगू ऊराओं को 8 साल बाद मिला इंसाफ, कोर्ट ने दिलाया 4.35 लाख का चेक

साल 2013 से ही जंगू उरांव को टूटे पैर के साथ कचहरी का चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा था. अब आखिरकार उन्हें इंसाफ मिल गया है. 

तकरीबन 8 साल बाद आखिरकार जंगू ऊराओं को इंसाफ मिला (सांकेतिक फोटो)

Ranchi: साल 2013 के जुलाई माह में एक सड़क हादसे (Road Accident) के दौरान जंगू ऊराओं (Jangu Oraon) नाम के एक शख्स के पैर 4 जगहों से टूट गए. दरअसल, एंबुलेंस (Ambulances) से टक्कर लगने के बाद जंगू ऊराओं गंभीर तौर पर घायल हो गए थे. इस घटना में शख्स का पैर टूट गया और पैर टूटने के साथ ही जिंदगी की उम्मीदें भी टूट गई थी. इसके बाद लोक अदालत में शख्स ने अपील की थी कि आखिर उनके बच्चों की परवरिश के साथ-साथ उनका देखभाल कौन करेगा. आज तकरीबन 8 साल बाद आखिरकार जंगू ऊराओं को इंसाफ मिला जब लोक अदालत के दौरान उसे 4 लाख 35 हज़ार का चेक दिया गया.

राष्ट्रीय लोक अदालत के सामने दीप जलाकर खुशी मनाते दिख रहा यह शख्स कोई वीआईपी नहीं बल्कि एक मामूली सा इंसान है जो एक हादसे में पैर टूट जाने की वजह से लाचार हो गया था. आज भी जंगू उरांव के पैर में रॉड लगे हैं जिसके जरिए यह अपने पैर पर खड़ा हो पाता है. दरअसल, रांची सिविल कोर्ट में लगाए गए याचिका के तहत राष्ट्रीय लोक अदालत में लंबित मामलों का निपटारा करते हुए पक्षकार को तकरीबन साढ़े चार लाख रुपये का चेक दिया गया. साल 2013 से ही जंगू उरांव को टूटे पैर के साथ कचहरी का चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा था. अब आखिरकार उन्हें इंसाफ मिल गया है. 
 
दरअसल, न्यायालय में लंबित मामलों के निपटारा के लिए डालसा के द्वारा लगभग 10 हजार पक्षकारों को नोटिस भेजा गया है. इस मामले में डालसा सचिव अभिषेक कुमार ने कहा कि इस आयोजन को प्रभावी बनाने के लिए 47 बेंचो का गठन किया गया है जिसमें प्री लिटिगेशन, फौजदारी, बीमा, बैंकिंग और परिवारिक मामले के अलावा सभी तरह के मामलों की सुनवाई की जा रही है. पक्षकार फिजिकल और वर्चुअल दोनों माध्यम से जुड़कर अपने मामलों का निष्पादन करा रहे हैं. इस लोक अदालत में सड़क दुर्घटना के लाभुकों को मुआवजा की राशि भी प्रदान की गई.

कोरोना काल के मौजूदा समय में न्यायिक कार्य वर्चुअल मोड पर चल रही है. सभी अदालतों में अर्जेंट मैटर की ही सुनवाई हो रही है. लिहाजा न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. वहीं, पक्षकारों को न्याय दिलाने के लिए वर्षों-वर्षों तक कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना पड़ता है. उन पक्षकारों को त्वरित और सुलभ न्याय पाने का यह एक बेहतर अवसर प्रदान किया गया है.