लालू यादव के वार्ड की जांच पर बोले अधिकारी, कहा- यह कोई छापेमारी नहीं थी
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लालू यादव के वार्ड की जांच पर बोले अधिकारी, कहा- यह कोई छापेमारी नहीं थी

लालू प्रसाद यादव अब तक सीबीआई की विशेष अदालतों द्वारा चार विभिन्न मामलों में दोषी ठहराये जा चुके हैं और उन्हें चौदह वर्ष तक के सश्रम कारावास की सजा सुनायी जा चुकी है.

फाइल फोटो

रांची: रांची स्थित बिरसा मुंडा जेल के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर न्यायिक हिरासत में रिम्स अस्पताल में भर्ती आरजेडी (RJD) अध्यक्ष एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के वार्ड की सिर्फ औपचारिक जांच की थी न कि वहां कोई छापेमारी की थी. बिरसा मुंडा जेल के अधीक्षक अशोक कुमार चौधरी एवं उनके अन्य सहयोगियों ने बताया कि शनिवार को राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान में लालू प्रसाद के वार्ड और कक्ष की जांच की गयी थी ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों की अवहेलना तो नहीं हो रही है.

इस बीच रांची सदर के पुलिस उपाधीक्षक दीपक पांडेय ने भी कहा कि शनिवार को लालू यादव के वार्ड की जांच औपचारिक जांच थी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों की 

अवहेलना तो नहीं हो रही है. साथ ही जेल के अधिकारी यह भी देखना चाहते थे कि जेल मैनुअल का भी पालन हो रहा है कि नहीं. गौरतलब है कि स्थानीय मीडिया के एक वर्ग ने खबर दी थी कि रिम्स में लालू यादव के वार्ड में छापेमारी की गई थी. जेल एवं पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वार्ड की जांच में कोई अवैध चीज बरामद नहीं की गयी.

उन्होंने बताया कि जेल मैनुअल के अनुसार प्रत्येक शनिवार को अधिक से अधिक तीन व्यक्ति जेल अधिकारियों की अनुमति से लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर सकते हैं. कांग्रेस नेता तारिक अनवर एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डीपी त्रिपाठी ने शनिवार को लालू प्रसाद यादव से अस्पताल जाकर मुलाकात की थी. इससे पूर्व भी देश के चढ़ते राजनीतिक पारे के बीच पिछले सप्ताहों में लालू यादव से उनके पुत्रों तेजस्वी यादव तथा तेज प्रताप यादव के अलावा अनेक नेताओं ने मुलाकात की जिनमें शत्रुघ्न सिन्हा, सुबोधकांत सहाय, हेमंत सोरेन, शकील अहमद, जीतन राम माझी तथा अन्य नेता शामिल थे.

लालू प्रसाद यादव अब तक सीबीआई की विशेष अदालतों द्वारा चार विभिन्न मामलों में दोषी ठहराये जा चुके हैं और उन्हें चौदह वर्ष तक के सश्रम कारावास की सजा सुनायी जा चुकी है. उनकी जमानत की अपीलें भी इन मामलों में झारखंड हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी हैं. अब उन्होंने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.