ऑक्सीजन की जरूरतों को लेकर आत्मनिर्भर झारखंड! 50 सरकारी हॉस्पिटल में पीएसए प्लांट लगाने का काम पूरा
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ऑक्सीजन की जरूरतों को लेकर आत्मनिर्भर झारखंड! 50 सरकारी हॉस्पिटल में पीएसए प्लांट लगाने का काम पूरा

कोविड जैसी किसी भी आपात स्थिति में ऑक्सीजन की जरूरतों को लेकर झारखंड अब लगभग आत्मनिर्भर हो गया है. राज्य के 50 सरकारी हॉस्पिटल में पीएसए प्लांट लगाने का काम पूरा चुका है, जबकि 22 अन्य अस्पतालों में प्लांट लगाने का काम प्रगति पर है.

ऑक्सीजन की जरूरतों को लेकर आत्मनिर्भर झारखंड! (फाइल फोटो)

Ranchi: कोविड जैसी किसी भी आपात स्थिति में ऑक्सीजन की जरूरतों को लेकर झारखंड अब लगभग आत्मनिर्भर हो गया है. राज्य के 50 सरकारी हॉस्पिटल में पीएसए प्लांट लगाने का काम पूरा चुका है, जबकि 22 अन्य अस्पतालों में प्लांट लगाने का काम प्रगति पर है. इस महीने के अंत तक इसके पूरा हो जाने की उम्मीद है. 

इनमें से 38 पीएम ऑक्सीजन प्लांट पीएम केयर्स फंड (PM CARES Fund) के जरिए स्थापित किए गए हैं, जबकि बाकी 34 यानी कुल 72 ऑक्सीजन प्लांट राज्य सरकार, कॉरपोरेट संस्थाओं और सांसदों द्वारा उपलब्ध कराए गए फंड की मदद से तैयार हो रहे हैं.

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'आपात स्थिति से निपटने में सक्षम हैं झारखंड के अस्पताल'
नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) के निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह का कहना है कि कोरोना (Corona) की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से जिस तरह की परिस्थितियां पैदा हुई थीं, वैसी आपात स्थिति अगर भविष्य में कभी आई तो उससे निपटने में झारखंड के अस्पताल सक्षम होंगे. राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रांची स्थित रिम्स (Ranchi RIMS) में नवनिर्मित ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन इसी महीने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant  Soren) ने किया था.

आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, झारखंड में कोविड की वजह से 5135 मौतें हुई हैं, लेकिन राज्य सरकार ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मौत की बात स्वीकार नहीं करती है. विधानसभा के बीते मॉनसून सत्र में एक सदस्य के सवाल के जवाब में झारखंड सरकार ने कहा था कि उसके पास ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत की सूचना नहीं है.

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'ऑक्सीजन की कमी लोगों को तड़पते देखा है' 
कोविड की दूसरी लहर के दौरान रांची में जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया कराने की मुहिम चलाने वाले इंद्रजीत सिंह का कहना है कि देश के ज्यादातर राज्यों की सरकारें भले जिन वजहों से ऑक्सीजन की कमी से मौत की बात नहीं स्वीकार करती हों, लेकिन हम लोगों ने अपने शहर-राज्य में कोविड के दौरान लोगों को ऑक्सीजन के लिए बुरी तरह तड़पते हुए देखा है. यह अच्छी बात है कि अब राज्य में 70 से ज्यादा सरकारी और 20 से ज्यादा निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो गए हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि किसी मरीज को ऑक्सीजन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

ऑक्सीजन की जरूरतों को लेकर आत्मनिर्भर झारखंड!
बता दें कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान जब पूरे देश में ऑक्सीजन के लिए मारामारी की स्थिति थी, तब झारखंड के बोकारो स्थित सेल के स्टील प्लांट से पूरे देश में 01 अप्रैल से 02 मई 2021 के बीच 4694.51 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई थी. यहां स्थित प्लांटों से लगभग 150 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हर दिन किया जा रहा था. यह और बात है कि यहां उत्पादित ऑक्सीजन के वितरण के लिए देश के विभिन्न राज्यों का कोटा तय किए जाने के कारण झारखंड के अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा था. 

बहरहाल, अब 72 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित होने से यह उम्मीद की जा रही है कि राज्य अब मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरतों को लेकर आत्मनिर्भर हो गया है.

(इनपुट- आईएएनएस)

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