रिम्स कैंपस में मेडिकल कचरा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगाया 4.50 करोड़ का जुर्माना
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रिम्स कैंपस में मेडिकल कचरा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगाया 4.50 करोड़ का जुर्माना

प्रदूषण नियंत्रण पार्षद द्वारा रिम्स का निरीक्षण किया गया था. निरीक्षण में पाया गया कि रिम्स कई मापदंड में खरा नहीं उतर सका, जिसके बाद बोर्ड ने रिम्स पर साढ़े चार करोड़ का जुर्माना लगाया.

रिम्स कैंपस में मेडिकल कचरा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगाया 4.50 करोड़ का जुर्माना

रांचीः प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रिम्स पर बड़ी कार्रवाई की है. बताया गया कि अस्पताल कैंपस में बड़ी मात्रा में मेडिकल वेस्ट फैला होने और इसका ठीक तरीके से निस्तारण न होने के चलते बोर्ड ने ये कार्रवाई की है. 1800 बेड वाले अस्पताल में हर रोज कई टन मेडिकल वेस्ट निकलता है. प्रदूषण नियंत्रण पार्षद ने रिम्स का निरीक्षण किया था, जिसमें बड़े स्तर पर खामियां सामने आई थीं. 

खुले में फेंक रहे कचरा
जानकारी के मुताबिक, रिम्स में हर दिन कई टन मेडिकल बॉयोवेस्ट जमा होता है, लेकिन इसका ठीक तरह से निस्तारण नहीं हो रहा है. हर दिन अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट (केमिकल, यूज्ड मेडिसिन, सिरिंज, पीपीई किट, ग्लव्स आदि) को सफाई कर्मी ट्रॉली में लादकर रिम्स के न्यू गर्ल्स हॉस्टल के पीछे बने इंसीनेटर के समीप ले जाकर फेंक देते हैं. 

कई बीमारियों की बन रहा था वजह
इंसीनेटर होने के बाद भी यहां मेडिकल वेस्ट को जलाया या नष्ट नहीं किया जाता. नतीजन, कई बार यह पड़े-पड़े कई तरह की बीमारियों को जन्म देते हैं. मेडिकल वेस्ट को लेकर रिम्स को प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने बड़ा जुर्माना लगाया है. मिली जानकारी के अनुसार, बायो मेडिकल एक्ट-2016 के अनुसार, सभी अस्पतालों को अस्पताल से निकलने वाले कचरे के निस्तारण को लेकर कई मापदंड पूरे करने होते हैं. 

रिम्स पर लगा जुर्माना
सामने आया है कि प्रदूषण नियंत्रण पार्षद द्वारा रिम्स का निरीक्षण किया गया था. निरीक्षण में पाया गया कि रिम्स कई मापदंड में खरा नहीं उतर सका, जिसके बाद बोर्ड ने रिम्स पर साढ़े चार करोड़ का जुर्माना लगाया. बताते चलें कि दो साल पहले भी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने रिम्स कैंपस का निरीक्षण किया था, उस समय भी ढाई लाख का जुर्माना लगा था.

इसलिए लगा जुर्माना
1. बायो मेडिकल एक्ट-2016 के अनुसार, सभी अस्पतालों में सीवरेज ट्रिटमेंट प्लांट होना चाहिए, लेकिन रिम्स में नहीं है.
2. रिम्स में इफ्लूएंट ट्रिटमेंट प्लांट भी नहीं है. निरीक्षण के दौरान इसे बनवाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन सालों बाद भी नहीं बना.
3. अस्पतालों में एक सेंट्रल वेस्टेज कलेक्शन रूम होना चाहिए, लेकिन रिम्स में यह नहीं है.
4. बायो मेडिकल वेस्ट के सही तरीके से निस्तारण के लिए कॉमन बायोमेडिकल ट्रिटमेंट फैसिलिटी होनी चाहिए, जो रिम्स में नहीं है.
5. पूर्व में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा रिम्स का निरीक्षण किया गया था. निरीक्षण के दौरान कुछ खामियां पाईं गईं थीं. उन्हीं खामियों को लेकर बोेर्ड ने रिम्स पर जुर्माना लगाया है.

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