स्कूलों में शौचालय नहीं, कैमूर को ODF घोषित करने की तैयारी में DM
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स्कूलों में शौचालय नहीं, कैमूर को ODF घोषित करने की तैयारी में DM

जिस जिले को शौच मुक्त करना है उस जिले के विद्यालयों का तहकीकात करने पर पता चला कि यहां कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां शौचालय नहीं हैं. 

स्कूल में शौचालय नहीं बच्चे लगा रहे खुले में शौच मुक्त कैमूर का नारा.

कैमूर : आगामी 20 अगस्त को कैमूर खुले में शौच मुक्त घोषित हो सकता है. जिला को ओडीएफ घोषित करने के लिए जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने कमर कस ली है. तरह-तरह के जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं. जिलाधिकारी खुद रैली निकाल रहे हैं और रात्रि चौपाल के माध्यम से लोगों को जागरुक करने में लगे हुए हैं.

जिस जिले को शौच मुक्त करना है उस जिले के विद्यालयों का तहकीकात करने पर पता चला कि यहां कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां शौचालय नहीं हैं. कई जगह है भी इतना गंदा है कि बच्चे और शिक्षक कोई इसका उपयोग नहीं करते. कई ऐसे विद्यालय भी मिले जहां शौचालय बना ही नहीं है. बच्चे शौच के लिए बाहर जाने के लिए आज भी मजबूर हैं. 

अधिकारियों को भी नहीं पता कितने स्कूलों में बने हैं शौचालय
ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या कागजों पर ओडीएफ कर देने से पूरा हो जाएगा सरकार का सपना? यहां तक कि जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी नहीं पता है हमारे जिले में कितने विद्यालय ऐसे हैं, जहां पर शौचालय नहीं है.

यहां शौचालय तो बने हैं, लेकिन दरवाजे गायब
कैमूर जिले के मोहनिया प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय दनियालपुर कुरई में शौचालय का निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन उसका दरवाजा टूटा हुआ है. शौचालय इतना गंदा है कि बच्चे और बच्चियां शौचालय का प्रयोग ही नहीं करते. उन्हें मजबूरन बाहर जाना पड़ता है. वहीं, विद्यालय के हेडमास्टर का कहना है कि कई बार विभाग के लोगों को इसके खस्ताहाल के बारे में बताया गया, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है.

बच्चे खुले में शौच नहीं जाने के नारे लगा रहे हैं, लेकिन स्कूल में नहीं है शौचालय
दूसरी तरफ भभुआ प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय लीलापुर का हाल तो और बुरा है. यहां पर बच्चे खुले में शौच नहीं करने का नारा दे रहे हैं. शिक्षक भी बच्चों से खूब नारा लगवा रहे हैं, लेकिन जो बच्चे लोगों को जागरूक करने के लिए नारा लगा रहे हैं वही खुले में शौच करने को मजबूर हैं. 6 घंटे तक विद्यालय में पढ़ाई करने के दौरान अगर बच्चों को शौच लग जाए तो उन्हें खुले में ही जाना पड़ता है. विद्यालय में शौचालय ही नहीं है. तो क्या जिला को कागजों पर ही ओडीएफ करने से पूरा हो जाएगा स्वच्छता अभियान का सपना?