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मिलिए, पत्थरों में जान फूंकने वाले शिल्पकार फिरंगीलाल गुप्ता से, जिनकी अलग पहचान

कैमूर जिले के चांद प्रखंड के केसरी गांव के निवासी शिल्पकार फिरंगी लाल गुप्ता अपनी अद्भुत कलाकारी, विशेषकर 'थ्री अंडरकट' तकनीक के लिए, देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं.

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कैमूर जिले के चांद प्रखंड के केसरी गांव के निवासी शिल्पकार फिरंगी लाल गुप्ता अपनी अद्भुत कलाकारी, विशेषकर 'थ्री अंडरकट' तकनीक के लिए, देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं. उन्होंने अपनी कला के माध्यम से भारत और बिहार का नाम रोशन किया है, जिसके लिए उन्हें बिहार सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है.

जानवरों की आकर्षक मूर्तियां गढ़ने में माहिर

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जानवरों की आकर्षक मूर्तियां गढ़ने में माहिर

फिरंगी लाल गुप्ता मुलायम पत्थरों से हाथी, कछुआ और अन्य जानवरों की आकर्षक मूर्तियां गढ़ने में माहिर हैं. उनकी विशेषता थ्री अंडरकट कलाकारी है, जिसमें वे एक हाथी के भीतर नक्काशी करके एक और हाथी और उसके भी भीतर नक्काशी करके तीसरा हाथी बनाते हैं. इस जटिल कलाकृति को तैयार करने में उन्हें लगभग तीन दिन का समय लगता है.

युवा कलाकारों को प्रशिक्षण दे रहे

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युवा कलाकारों को प्रशिक्षण दे रहे

वर्तमान में, फिरंगी लाल गुप्ता पटना के पाटलिपुत्र इलाके में स्थित उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में युवा कलाकारों को प्रशिक्षण दे रहे हैं, जिससे उनकी अनूठी कला पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ सके.

कैमूर जिले के समाहरणालय भभुआ में स्थापित

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कैमूर जिले के समाहरणालय भभुआ में स्थापित

उनके थ्री अंडरकट हाथी की एक शानदार मिसाल कैमूर जिले के समाहरणालय भभुआ में स्थापित है. यह अद्वितीय कलाकृति 10 क्विंटल के मार्बल पत्थर को तराश कर बनाई गई थी, जिसका वजन आज भी 3 से 4 क्विंटल बताया जाता है. फिरंगी लाल गुप्ता को बिहार में अंडरकट तकनीक से कलाकृतियां गढ़ने वाले ख्याति प्राप्त शिल्पकार के रूप में जाना जाता है.

फिरंगी लाल की कलाकारी: एक नजदीकी नजर

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फिरंगी लाल की कलाकारी: एक नजदीकी नजर

फिरंगी लाल गुप्ता बताते हैं कि सबसे पहले मुलायम पत्थर को आरी से काटा जाता है, फिर कटर से तराशकर उसे कछुआ, हाथी, मेंढक, बैल और अन्य जानवरों का आकार दिया जाता है. इस प्रक्रिया का सबसे दिलचस्प हिस्सा तब शुरू होता है जब वे पत्थर से एक आकृति बनाने के बाद, उसकी कलाकृति वाले छेद से मशीन का उपयोग करके अंदर से खोखला करते हैं ताकि दूसरी आकृति तैयार की जा सके. इसी तरह, दूसरे होल से तीसरी आकृति तैयार होती है, जिससे यह तीन-परत की कलाकृति बनती है.

कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया

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कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया

फिरंगी लाल ने बिहार सरकार के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि उनकी कला को राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने सम्मानित और प्रोत्साहित किया है. बिहार सरकार और भारत सरकार के सहयोग से उन्हें 2008 में चीन में अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिला. चीन से लौटने के बाद, उन्हें वर्ष 2009-10 के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2012 में, उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निमंत्रण पर उन्होंने संस्थान में अपनी कला का प्रदर्शन किया, जिसने वहां के कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया.

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