Koderma News: धर्मांतरण की बढ़ते मामलों को रोकने में जहां सरकार और प्रशासन नाकाम रही है. वहीं, इसे रोकने में झारखंड के कोडरमा के लोगों ने सामाजिक स्तर पर इसकी जिम्मेदारी निभाना शुरू कर दिया है. मामला चंदवारा प्रखंड के बेंदी पंचायत के छतारा गांव का है, जहां गांव के 9 परिवारों के द्वारा ईसाई धर्म अपनाए जाने पर गांव के अन्य लोगों ने उन परिवारों का सामाजिक तौर पर बहिष्कार कर दिया है. यह मामला कोडरमा के चंदवारा प्रखंड के बेंदी पंचायत के छतारा गांव की है. जहां जिला मुख्यालय से तकरीबन 45 किलोमीटर और प्रखंड मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित यह सुदूरवर्ती गांव बिहार से काफी सटा हुआ है. सरकार और प्रशासन की इस गांव में पहुंच कम होने के कारण धर्म प्रचारकों का आवागमन यहां ज्यादा बढ़ गया. यही कारण है कि इस गांव के 9 परिवारों ने अब स्पष्ट रूप से ईसाई धर्म को अपना लिया है. यहां ईसाई धर्म को अपना चुके लोगों की अपनी दलीलें हैं.
बता दें कि छातारा गांव में तकरीबन 40 परिवार निवास करते हैं. गांव में सिर्फ हिंदू धर्म को मानने वाले एक ही जाति के लोग निवास करते थे, लेकिन 9 परिवारों के द्वारा ईसाई धर्म को अपनाने के बाद आज से पहले गांव के लोगों के बीच बना आपसी समन्वय और तालमेल खतरे में पड़ गया है.
गांव के जिन 9 परिवारों ने धर्मांतरण कर ईसाई धर्म को अपना लिया, अब गांव के बाकी लोग खुशी और मातम में एक दूसरे के यहां जाना छोड़ दिए हैं. गांव के रहने वाले उपेंद्र भुइंया ने बताया कि पिछले कुछ सालों में इस गांव में बिहार के बाराचट्टी और अन्य इलाकों से आने वाले धर्म प्रचारकों का आवागमन प्रशासन और सरकार की नाकामी के कारण ज्यादा बढ़ गया था.
जिसके कारण गांव की 80 प्रतिशत आबादी ने ईसाई धर्म को मनाना शुरू कर दिया था, लेकिन जब उन लोगों ने सामाजिक स्तर पर धर्मांतरण को रोकने का बीड़ा उठाया, तो कई परिवारों ने फिर से हिंदू धर्म में वापसी कर ली, लेकिन राजेश भैया की अगुवाई में अभी भी 9 परिवार ईसाई धर्म को अपनाएं हुए हैं.
धर्मांतरण और गांव वालों के द्वारा सामाजिक बहिष्कार का मामला संज्ञान में आने के बाद उपायुक्त मेघा भारद्वाज ने चंदवारा प्रखंड विकास पदाधिकारी को जांच के आदेश दे दिए हैं.
धर्म पूछ कर जहां एक तरफ कश्मीर के पहलगाम में कई पर्यटकों की हत्या कर दी गई. वहीं, सदियों से एकजुट रहने वाले छतारा गांव के लोग धर्म के नाम पर आज अलग-अलग नजर आ रहे हैं. (इनपुट - गजेंद्र सिन्हा)
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