लालू यादव के बेटे तेजस्वी की कुर्सी पर मंडरा रहे खतरे से कांग्रेस की इसलिए फूल रही हैं सांसें...
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लालू यादव के बेटे तेजस्वी की कुर्सी पर मंडरा रहे खतरे से कांग्रेस की इसलिए फूल रही हैं सांसें...

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे तेजस्वी को हटाने को लेकर नीतीश पर बढ़ा दबाव (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः भष्टाचार के आरोपों से घिरे बिहार के उप-मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की कुर्सी खतरे में है. बिहार में महागठबंधन की सरकार पर विपक्षी जहां तेजस्वी के इस्तीफे की मांग कर रहे है. वहीं जेडीयू-आरजेडी के अलावा महागठबंधन के एक और घटक कांग्रेस की ये पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह नीतीश कुमार को महागठबंधन में रहने के लिए मनाया जाए. आपको बताते हैं कि कांग्रेस तेजस्वी के इस्तीफे और महागठबंधन की एकजुटता को लेकर आखिर क्यों परेशान है. 

दरअसल कांग्रेस के लिए महागठबंधन संजीवनी का काम कर रहा है. क्योंकि 2014 में केंद्र की सत्ता से जाने के बाद से कांग्रेस पार्टी का ग्राफ लगातार गिर रहा है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि कांग्रेस पार्टी ने साल 2014 के बाद हुए विधानसभा चुनावों में 6 राज्यों से सत्ता चली गई. 

2014 में ही पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में सत्ता गंवा दी. झारखंड, जम्मू-कश्मीर में भी उसकी करारी हार हुई.

2015 में बिहार में महागठबंधन में शामिल होकर उसने जीत का स्वाद चखा लेकिन इसी साल असली झटका कांग्रेस को दिल्ली में मिला जहां उसे एक भी सीट नहीं मिली.

2016 भी कांग्रेस के लिए कोई अच्छी खबर लेकर नहीं आया. इस साल उसके हाथ से असम जैसा बड़ा राज्य चला गया. केरल में भी उसकी गठबंधन सरकार हार गई जबकि पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ चुनाव लड़ने के बावजूद उसका सूपड़ा साफ हो गया. तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन वाली डीएमके का सत्ता में वापसी का सपना सपना ही रह गया और पार्टी एक बार फिर हारी. हालांकि पुड्डुचेरी में उसकी सरकार बनी. 

2017 की बात करें तो शुरुआत में ही पार्टी को यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा चुनावों के लिए बड़ी मेहनत करनी थी. जहां एक तरफ पार्टी के लिए उत्तराखंड में सत्ता बचाने की थी तो वहीं पंजाब में सत्ता विरोधी लहर को तेजी से उभर रही आम आदमी पार्टी की तरफ ना जाने देकर अपनी तरफ मोड़ना था. उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए हारने जीतने का कोई भी मौका दूर-दूर तक नहीं था. यहां पार्टी ने शुरुआत में तो अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया. लेकिन बाद में राज्य में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया. 

तीनों राज्यों के चुनावों के नतीजे एक ही दिन आए. यूपी में जहां कांग्रेस का सफाया हो गया वहीं उत्तराखंड में भी पार्टी के हाथ से सत्ता चली गई. लेकिन पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह जनता को ये विश्वास दिलाने में कामयाब रहे कि वो अकालियों के खिलाफ आम आदमी पार्टी के बजाय सही विकल्प है. वैसे पंजाब में कैप्टन की जीत के पीछे दिल्ली में आप सरकार के मंत्रियों का विवादों से नाता और दिल्ली सीएम के बेतुके फैसले भी रहे. लेकिन कांग्रेस को यहां मिली सत्ता ने पार्टी कार्यकर्ताओं की हिम्मता को बढ़ाने का काम किया. 

उत्तराखंड-अरुणाचल-मणिपुर ना बन जाए बिहार?

कांग्रेस के लिए संघर्ष हर उस राज्य में बना रहा. जहां बीजेपी की मौजूदगी है और उसका किसी ऐसे दल से गठबंधन है जो किसी ना किसी समय या तो एनडीए का सदस्य रहा हो या फिर वहां ऐसे नेता मौजूद हो जो पाला बदलने में माहिर होते है.

JDU की बैठक खत्म, तेजस्‍वी यादव को और समय देने के पक्ष में नीतीश

ये संकट कांग्रेस के लिए साल 2016 में पहले उत्तराखंड फिर अरुणाचल प्रदेश में आया. उत्तराखंड में तो कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पार्टी किसी तरह अपनी सरकार का कार्यकाल पूरा कर सकी. लेकिन अरुणाचल में कांग्रेस की पूरी सरकार बीजेपी के पाले में चली गई और पार्टी के पास 42 जीते हुए विधायकों में मुख्यमंत्री को छोड़कर सिर्फ सभी विधायक बीजेपी के पाले में चले गए.

इसके बाद मणिपुर में भी पार्टी को ऐसे ही हालात से गुजरना पड़ा. मणिपुर में भी साल 2016 राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस के 42 विधायकों में से 25 विधायक बागी हो गए. जिसके बाद पार्टी आलाकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा और प्रदेश अध्यक्ष को बदला गया. 

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तेजस्वी यादव पर विपक्ष लगातार इस्तीफे के लिए दवाब बना रहा है (फाइल फोटो)

कांग्रेस आलाकमान ने सुलह की कोशिशे तेज की

महागठबंधन में जारी तनातनी के बीच कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने सुलह की कोशिशों के तहत नीतीश कुमार और लालू प्रसाद से बातचीत की है. सूत्रों के मुताबिक उन्‍होंने दोनों नेताओं से कम से कम संसद के आगामी सत्र में साथ रहने की अपील की है. इसके साथ ही उपराष्‍ट्रपति चुनाव में साथ रहने की अपील भी की है. इन सबके बीच सूत्रों के मुताबिक बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार अगले सप्‍ताह कांग्रेस नेतृत्‍व से मुलाकात कर सकते हैं. बिहार के सत्‍तारूढ़ महागठबंधन में जदयू-राजद के अलावा कांग्रेस एक अहम घटक दल है. दरअसल अगले सप्‍ताह नीतीश कुमार दिल्‍ली आ रहे हैं.