लालू ने कहा-नीतीश कुमार पर हत्या का आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला
Advertisement

लालू ने कहा-नीतीश कुमार पर हत्या का आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला

 लालू यादव ने आज बिहार में महागठबंधन सरकार से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामकर सीएम बनने वालाे नीतीश कुमार पर जमकर हमला किया. लालू ने आज कहा कि नीतीश का ये कदम सोची-समझी साजिश के तहत किया. लालू ने कहा कि नैतिकता की बात करने वाले नीतीश कुमार ने डिप्टी तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार का आरोप, हमारे घरों पर सीबीआई छापे ये सब पूर्व निर्धारित साजिश थी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पर खुद मर्डर का मामला चल रहा है. लालू ने कहा की नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 1991 को सीता राम सिंह की हत्या की. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने विधान परिषद सदस्य के रूप में दिए अपने हलफनामे में इस केस का जिक्र किया है.

लालू यादव ने नीतीश कुमार पर लगाया हत्या का आरोप (फाइल फोटो, यूट्यूब)

पटना :  लालू यादव ने आज बिहार में महागठबंधन सरकार से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामकर सीएम बनने वालाे नीतीश कुमार पर जमकर हमला किया. लालू ने आज कहा कि नीतीश का ये कदम सोची-समझी साजिश के तहत किया. लालू ने कहा कि नैतिकता की बात करने वाले नीतीश कुमार ने डिप्टी तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार का आरोप, हमारे घरों पर सीबीआई छापे ये सब पूर्व निर्धारित साजिश थी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पर खुद मर्डर का मामला चल रहा है. लालू ने कहा की नीतीश कुमार ने 16 नवंबर 1991 को सीता राम सिंह की हत्या की. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने विधान परिषद सदस्य के रूप में दिए अपने हलफनामे में इस केस का जिक्र किया है.

ये भी पढ़े- मिलिए, 'सुमो' से, कभी टीम लालू के सचिव थे, अब उनके परिवार को किया आउट

क्‍या है पूरा मामला 

हत्या का यह मामला बिहार के बाढ़ से जुड़ा है. नवम्बर 1991 में बिहार में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में तब बाढ़ संसदीय क्षेत्र में सीताराम सिंह नाम के एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले को लेकर उस समय ढीबर गांव निवासी अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. 1 सितम्बर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन एसीजेएम रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आरोपी मानते उनपर इस मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था. 

बाद में इस मामले का हाईकोर्ट में स्‍थानांतरित करा दिया गया. वर्ष 2009 से लेकर अबतक यह मामला हाइकोर्ट में लंबित है. एक समय न्यायाधीश सीमा अली खान ने इस मामले में नीतीश की पैरवी कर रहे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह की दलीलों को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. बाद में फिर से मामले पर सुनवाई शुरू हुई जो अभी भी चल रही है. 

ये भी पढ़े- नीतीश आखिरी बार सीएम बने हैं, यह आदमी भस्मासुर निकला : लालू

सीताराम सिंह की हत्या के मामले में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने पूर्व में नीतीश और दुलारचंद को छोड़कर अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया था. वे आरोपी जिनके खिलाफ अदालत द्वारा संज्ञान लिया गया उनमें से एक योगेंद्र यादव द्वारा इस मामले में पटना उच्च न्यायालय में यचिका दायर किए जाने पर उच्च न्यायालय ने आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी. 

सीताराम सिंह हत्या मामले के एक गवाह अशोक सिंह ने बाद में बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक प्रतिवाद सह शिकायत पत्र दायर कर आरोप लगाया था कि बाढ़ संसदीय उपचुनाव के दौरान 16 नवंबर वर्ष 1991 को वे सीता राम सिंह सहित अन्य लोगों के साथ मतदान करने गये थे तभी वहां नीतीश कुमार जो कि जनता दल के उम्मीदवार थे, दुलारचंद यादव सहित अन्य लोगों के साथ पहुंचे और उन्हें वोट देने से मना किया था. 

ये भी पढ़े- नीतीश कुमार की नहीं सुनते थे लालू यादव के मंत्री, तंग आकर लिया फैसला!

अशोक सिंह ने अपने परिवाद पत्र में कहा था कि नीतीश कुमार के साथ उस समय तत्कालीन मोकामा विधायक दिलीप सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव थे और वे बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस थे. अशोक सिंह ने अपने परिवाद पत्र में आरोप लगाया था कि इन लोगों द्वारा वोट देने से मना किये जाने पर जब सीताराम ने उनकी बात नहीं मानी तो नीतीश ने उन्हें जान से मारने की नीयत से अपनी राइफल से गोली चला दी, जिससे उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. 

जबकि उनके साथ आये अन्य लोगों द्वारा की गयी गोलीबारी से सुरेश सिंह, मौली सिंह, मन्नू सिंह एवं रामबाबू सिंह घायल हो गये थे. अशोक सिंह के परिवाद पत्र पर बाढ़ के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रंजन कुमार ने 31 अगस्‍त 2010 को सिंह के बयान और दो गवाहों रामानंद सिंह और कैलू महतो द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अपराध दंड संहिता  202 के अंतर्गत नीतीश और दुलारचंद यादव को अदालत के समक्ष गत नौ सितंबर को उपस्थित होने का निर्देश दिया था.  बाद में नीतीश द्वारा इस मामले में पटना उच्च न्यायालय का रुख किये जाने पर न्यायालय ने बाढ़ अनुमंडल अदालत के उक्त आदेश पर रोक लगा दी थी तथा इस कांड में नीतीश से जुड़े सभी मामलों को उसके पास भेजने को कहा था.