देश में हुए उपचुनान में एनडीए को करारी शिकस्त मिलने के बाद जहां एक ओर विपक्षी पार्टियां खुश है तो वहीं एनडीए इसके कारणों को तलाशने में लगी हुई है.
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पटना: देश में हुए उपचुनान में एनडीए को करारी शिकस्त मिलने के बाद जहां एक ओर विपक्षी पार्टियां खुश है तो वहीं एनडीए इसके कारणों को तलाशने में लगी हुई. जी न्यूज से बातचीत के दौरान चिराग पासवान ने कहा कि 'उपचुनाव में हार के बाद एनडीए में ईमानदारी से आत्ममंथन की जरूरत है. जो अपेक्षा हमें खुद से थी हम खुद उस पर खरे नहीं उतरे.'
साथ ही चिराग पासवान ने एससी एसटी एक्ट को लेकर भी कहा कि उपचुनाव में शत प्रतिशत एससी एसटी एक्ट भी एक कारण हार का हो सकता है. जिस तरह से समाज के अतिपिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाती जनजाती का आक्रोश सड़क पर देखने को मिला और जिस तरह से समाज के बीच आक्रोश है, इसके बाद प्रधानमंत्री को मैंने भी ख़त लिखकर कहा था कि जल्द से जल्द इसपर एक अध्यादेश लाने की जरूरत है.
साथ ही चिराग पासवान ने ये भी कहा कि एनडीए में किसी प्रकार की खलबलाहट नहीं है. एनडीए में एकजुटता दिखाने की या ऐसा मंच तैयार करने की जरूरत नहीं है जहां एक मंच पर सभी नेता साथ में शक्ति प्रर्दशन करें और गाहे बगाहे एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहें. हमें खटपट ना करने की जरूरत है और ना दिखाने की जरूरत है. बस एक ईमानदार प्रयास करने की जरूरत है.हमारे लिए एसटी-एससी एक्ट बहुत बड़ा चिंता का विषय है.
चिराग पासवान का ये भी कहना है कि अब धीरे-धीरे हमें 2019 चुनाव पर काम करने की जरूरत है. विपक्ष कई बार भ्रम जाल फैलाने में कामयाब रहा है. हमें काम को बताने की जरूरत है और अगर कॉर्डिनेशन कमिटी की जरूरत पड़ती है तो वो भी होगा.
तेजस्वी यादव के लालूवाद के जन्म के बयान पर भी चिराग पासवान ने बयान देते हुए कहा कि पहले तेजस्वी यादव को ये बताना चाहिए कि लालूवाद क्या है.जनता ने उन्हें 15 साल दिए थे धरातल पर उतारने के लिए. लालूवाद के माध्यम से प्रदेश में काम दिखाने की लेकिन उस वक्त चीजें नहीं हुई.अच्छे समीकरण की वजह से दो जगहों पर जीत होने से अतिउत्साहित होने की जरूरत नहीं है. 2019 में 2014 के मुकाबले भी आरजडेडी की कम होगी.