Bihar MLC Election: कैसे होता है विधान परिषद का चुनाव, क्या है प्रक्रिया, किस पद्धति से चुने जाते हैं प्रत्याशी?
Bihar MLC Election 2024: विधान परिषद को उच्च सदन कहा जाता है. यह स्थाई सदन होता है मतलब इसे भंग नहीं किया जाता सकता है. इसके सदस्यों को एमएलसी यानी मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल कहा जाता है. इनका औहदा विधायक (MLA) के बराबर ही होता है.
Bihar MLC Election 2024: बिहार विधान परिषद के कुल 11 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने वाला है. लिहाजा, एमएलसी चुनाव के लिए गतिविधियां तेज हो गई हैं. विधान परिषद से रिटायर होने वाले सदस्यों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व सीएम राबड़ी देवी का नाम शामिल है. सीएम नीतीश आज (मंगलवार, 5 मार्च) को अपना नामांकन दाखिल करने वाले हैं. चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, नामांकन की अंतिम तिथि 11 मार्च है. 12 मार्च को नामांकनों की जांच होगी. 14 मार्च तक प्रत्याशी अपना नामांकन वापस ले सकते हैं. 21 मार्च को एमएलसी का चुनाव होगा और उसी दिन देर शाम तक नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये चुनाव कैसे होता है, इसकी प्रक्रिया क्या और इसमें कौन-कौन वोट कर सकता है?
बता दें कि राज्य में विधान परिषद को उच्च सदन कहा जाता है. यह स्थाई सदन होता है मतलब इसे भंग नहीं किया जाता सकता है. इसके सदस्यों को एमएलसी यानी मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव काउंसिल कहा जाता है. इनका औहदा विधायक (MLA) के बराबर ही होता है. हालांकि इनका कार्यकाल 6 साल के लिए होता है. देश के 6 राज्यों में विधानसभा के साथ-साथ विधानपरिषद की भी व्यवस्था है. इनमें बिहार भी शामिल है. बिहार विधान परिषद के सदस्यों की संख्या 75 है. इनमें 27 सदस्य बिहार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाते है. 6 सदस्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से, 6 स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से, 24 स्थानीय प्राधिकार से और 12 मनोनीत सदस्य होते हैं.
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कैसे होता है MLC चुनाव?
इस चुनाव में सीधे जनता वोट नहीं करती, बल्कि जनता के चुने हुए जन प्रतिनिधि इसमें वोट करते हैं. जैसे- ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिकाओं के सदस्य और नगर पालिकाओं के चेयरमैन, विधानसभा में चुने गये विधायक इन्हें वोट करते हैं. विधान परिषद के चुनाव में पार्टी सिंबल नहीं होता है बल्कि उम्मीदवारों का नाम लिखा होता है. जिसके आगे अपनी प्राथमिकता लिखनी होती है. जिस उम्मीदवार के आगे सबसे अधिक प्राथमिकता मिलती है वो चुनाव जीत जाता है.
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कैसे होता विजेता का निर्णय?
विधान परिषद के चुनाव वोटों की गिनती और विजेताओं की घोषणा बिल्कुल अलग तरीके से होती है. इस चुनाव में एकल संक्रमणीय अनुपातिक मतदान के आधार पर विजेता का फैसला होता है. विधानसभा चुनाव में जिस प्रत्याशी को ज्यादा वोट मिलते हैं वही विजेता होता है, लेकिन विधान परिषद चुनाव में वोटरों के पास एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वोट देने और पहली पसंद, दूसरी पसंद, तीसरी पसंद जैसे विकल्प होते हैं. वोटर को अधिकार होता है कि वह तय कर सकें कि किस प्रत्याशी को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं और किसे कमतर. बैलेट पेपर पर वरीयता क्रम में वोटर अपनी पसंद का इजहार रोमन अंकों में करते हैं.