Bihar Politics: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी सुर्खियों में हैं. उनकी चालों को कोई समझ नहीं पा रहा है. इस वक्त वह एक कुशल व्यापारी की तरह तराजू के एक पलड़े पर NDA और दूसरे पलड़े पर INDI Alliance को तौल रहे हैं. जिसकी ओर डंडी मारते हैं, वहीं नीतीश को अपना समझने लगता है. हालांकि, लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश को अपना स्टैंड लेना है इसलिए अब ज्यादा देर तक उनका ये खेल नहीं चल सकता है. यही वजह है कि नीतीश ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं. राम मंदिर कार्यक्रम से दूरी बनाकर और राहुल गांधी की रैली में शामिल होने की मंजूरी देकर उन्होंने विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है. 


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इससे पहले तक वह इंडी गठबंधन में गठबंधन का संयोजक नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे थे और उनके एनडीए में जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं. हालांकि, अब उन्होंने अपना रास्ता चुन लिया है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार ने बड़ा सोच-समझकर इंडी गठबंधन के साथ ही रहने का फैसला लिया है. उनका कहना है कि अब अगर नीतीश कुमार फिर से एनडीए में जाते तो उन्हें पहले वाला सम्मान नहीं मिलता. इसके अलावा वह एनडीए में बीजेपी की शर्तों को मानने के लिए बाध्य होते, जबकि इंडी अलायंस में वह अभी भी अपनी मर्जी थोप सकते हैं. 


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नीतीश के एनडीए से दूरी बनाने के पीछे बड़ी वजह ये भी है कि उनके सारे राजनीतिक दुश्मन अब एनडीए के साथी हैं. नीतीश कुमार अगर फिर से एनडीए ज्वाइन करते तो उन्हें चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी जैसे नेताओं के साथ मंच साझा करना पड़ता. जबकि पिछले कुछ दिनों इन नेताओं ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. चिराग पासवान को तो नीतीश की जिद के कारण ही एनडीए से बाहर किया गया था और नीतीश के एनडीए छोड़ने के बाद ही उनकी रीएंट्री हुई है. इसी तरह से कुशवाहा ने जदयू से अलग होकर अपनी नई पार्टी का गठन किया है. वहीं मांझी और नीतीश का टकराव तो विधानसभा तक में देखने को मिल चुका है. 


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यह वो बड़े कारण है जिनकी वजह से नीतीश कुमार चाहकर भी एनडीए में नहीं जा सकते थे. यही वजह है कि नीतीश कुमार ने अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से खुद को दूर रख ये संदेश दे दिया कि इंडी गठबंधन में सबकुछ ठीक है. अब नीतीश कुमार बिहार में होने वाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल हो रहे हैं.  यह यात्रा 29 जनवरी को बिहार में प्रवेश करेगी. 30 जनवरी को उनकी यात्रा पूर्णिया पहुंचेगी, जहां वे एक विशाल रैली को संबोधित करेंगे. इस रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल होंगे.