Bihar Political Crisis: भाजपा के नेता भी कभी उन्हें अपनाने या फिर कभी दरवाजा बंद करने की बात कहते रहे. इस बीच जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में नीतीश कुमार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि ऐसा प्रस्ताव आता है तो विचार किया जाएगा.
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Bihar Political Crisis: बिहार की राजनीतिक हलचल अब दिल्ली में भी लहरें पैदा कर रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को आलाकमान ने दिल्ली बुलाया. साथ में आश्विनी चौबे भी गए और संयोग देखिए कि जेडीयू ने नीतीश कुमार के राजनीतिक सलाहकार को भी दिल्ली रवाना कर दिया और ये सभी एक ही फ्लाइट में सवार होकर निकले हैं. दिल्ली में भाजपा नेता आलकमान से मुलाकात करेंगे और राज्य की राजनीतिक हालात के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे. इस बीच खबर आ रही है कि बिहार के राजनीतिक हालात को लेकर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक बैठक हुई है. उसके बाद ही सम्राट चौधरी को दिल्ली बुलाया गया है.
नीतीश कुमार के झुकाव पिछले कुछ समय से भाजपा की ओर होते स्पष्ट देखे जा सकते थे. भाजपा के नेता भी कभी उन्हें अपनाने या फिर कभी दरवाजा बंद करने की बात कहते रहे. इस बीच जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में नीतीश कुमार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि ऐसा प्रस्ताव आता है तो विचार किया जाएगा. उसके बाद से तो बिहार में सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई.
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दो दिन पहले अनोखा काम हुआ. कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती थी तो मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया गया. उसके बाद से बिहार में तो भाजपा और नीतीश कुमार के बीच सब फील गुड टाइप का हो गया. अब कर्पूरी ठाकुर के जन्मशती पर आयोजित समारोह में नीतीश कुमार ने परिवारवाद पर बम फोड़ दिया. उसके बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक्स पर नीतीश कुमार के खिलाफ धमाका कर दिया. फिर तो नीतीश कुमार ने रोहिणी के पोस्ट की प्रिंट काॅपी भी मंगा ली. लालू परिवार ने नुकसान भरपाई के लिए रोहिणी के सारे ट्वीट डिलीट करवाए पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर भाजपा ने नीतीश कुमार को मजबूर किया वे एनडीए के बैनर तले आकर राजनीति करें. बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के बारे में माना जाता है कि वह लोगों को हमेशा सरप्राइज करते हैं. नीतीश कुमार ऐसा नंबर लेकर बैठे हैं, जो राजद और भाजपा दोनों को बिहार की राजनीति में फुटबाल बना देता है. इसलिए नीतीश कुमार कभी राजद के साथ होते हैं तो कभी भाजपा के साथ. 2013 के बाद से ही वे इन दोनों दलों के बीच गठबंधन में झूला झूल रहे हैं.