बिहार सरकार ने झारखंड सरकार से अनुरोध किया है कि स्वास्थ्य विभाग के परमिशन बिना कांके हास्पिटल में मरीजों को भर्ती न लें.
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पटना : झारखंड और बिहार सरकार आमने-सामने है. वजह है रांची स्थित कांके (Kanke) मानसिक आयोग्यशाला की बकाया राशि. इसका असर अब बिहार (Bihar) के मानसिक रोगियों पर पड़ने वाला है. कांके अस्पताल में इलाज कराने के लिए बिहार के मनोरोगियों को सबसे पहले बिहार सरकार से अनुमति लेना होगा. बिना अनुमति कांके हास्पिटल में मरीजों का इलाज नहीं करा सकेंगे.
बिहार सरकार ने झारखंड सरकार से अनुरोध किया है कि स्वास्थ्य विभाग के परमिशन बिना कांके हास्पिटल में मरीजों को भर्ती न लें. इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग की हरी झंडी को अनिवार्य कर दिया गया है.
स्वास्थ्य प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया है कि बिहार में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए हर सुविधा उपलब्ध है. कोईलवर में मानसिक आरोग्यशाला बनकर तैयार हो चुका है. कोईलवर मानसिक आरोग्य हास्पिटल में वह तमाम सुविधा और डाक्टर मौजूद हैं, जो रांची के कांके हास्पिटल में उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि वह समय था जब बिहार में कोई मानसिक आरोग्यशाला नहीं था, तब मानसिक मरीज इलाज के लिए कांके का रुख करते थे. लेकिन अब ऐसी बात नहीं है.
कोईलवर हास्पिटल पूरी तरह से उपलब्ध है. बिहार सरकार ने झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग से अनुरोध किया है कि बिना परमिशन मानसिक मरीजों का इलाज कांके में नहीं करे. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की हरी झंडी के बाद ही कांके में मरीज भर्ती करा सकते हैं.
पुराने मरीज पर उन्होने कहा है कि झारखंड के कांके में दो सौ से अधिक मरीज भर्ती हैं. जो भी बकाया राशि है, उसकी जांच बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग करेगी.
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