बिहार सरकार के मंत्री का दावा, 'RSS को लेकर नहीं जारी हुई कोई चिट्ठी'
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बिहार सरकार के मंत्री का दावा, 'RSS को लेकर नहीं जारी हुई कोई चिट्ठी'

आरएसएस से जुड़े संगठनों की निगरानी को लेकर जारी की गई चिट्ठी पर सियासत तेज हो गई है. इसके साथ ही गठबंधन टूटने को लेकर चर्चाओं के बाजार भी गर्म हो गया है.

बिहार सरकार ने चिट्ठी को बताया फर्जी.

पटना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जासूसी मामले में नया मोड़ आ गया है. स्पेशल ब्रांच के एडीजी ने भले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये मान लिया है कि विभाग के एसपी की ओर से ऐसी चिट्ठी जारी की गयी है, लेकिन बिहार सरकार के मंत्री ये मानने के लिए तैयार नहीं हैं. बीजेपी कोटे के मंत्री बिनोद सिंह ने पुलिस विभाग की ओर से चिट्ठी जारी किये जाने के मामले को फर्जी बताया है. मंत्री का दावा है कि जब चिट्ठी की जानकारी उन्हें ही नहीं तो चिट्ठी जारी हुई कैसे. वही, आरजेडी और कांग्रेस ने आरएसएस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जारी की गई चिट्ठी को लेकर सीएम नीतीश कुमार के फैसले का खुलकर स्वागत किया है.

आरएसएस से जुड़े संगठनों की निगरानी को लेकर जारी की गई चिट्ठी पर सियासत तेज हो गई है. इसके साथ ही गठबंधन टूटने को लेकर चर्चाओं के बाजार भी गर्म हो गया है. यही वजह है कि बीजेपी के कुछ नेता गठबंधन को बचाने की कवायद में लग गए हैं.

ऐसे ही नेताओं में एक बिहार सरकार में मंत्री बिनोद कुमार सिंह हैं. उन्होंने तो पूरी चिट्ठी को ही फर्जी करार दिया है. मंत्री बिनोद सिंह का दावा है कि पुलिस विभाग की ओर से ऐसी कोई चिट्ठी जारी नहीं की गई है. मंत्री ने कहा है कि अगर चिट्ठी जारी होती तो उन्हें भी इसकी सूचना होती. यह सिर्फ फेसबुक और वाट्सऐप पर फैलाया गया झूठ है.

बिनोद सिंह चिट्ठी को भले ही फर्जी बता रहे हैं, लेकिन बिहार सरकार के ही मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता मामले को गंभीर मान रहे हैं. प्रेम कुमार ने कहा है कि मामला गंभीर है. इसकी पूरी जांच होनी चाहिए. आरएसएस राष्ट्रभक्तों का संगठन है.

बीजेपी विधायक सचिन्द्र प्रसाद ने भी चिट्ठी को गंभीर माना है. सचिन्द्र प्रसाद ने स्पेशल ब्रांच के एजीडी के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें एडीजी ने यह कहा था कि चिट्ठी जारी होने की जानकारी न तो उन्हें थी और न ही विभाग को.

पूर्व पुलिस अधिकारी रहे जेडीयू विधायक रवि ज्योति ने सरकार का बचाव किया है. रवि ज्योति ने कहा है कि सरकार को वाकई इस चिट्ठी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. मैं खुद पुलिस डिपार्टमेंट में रहा हूं. मैंने चिट्ठी देखी है. यह एसपी की ओर से जारी की गई थी. ऐसे में पूरी सरकार को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है.

जासूसी को लेकर जारी हुई चिट्ठी ने जेडीयू और बीजेपी के बीच विश्वास की डोर को कमजोर किया है. इधर, कांग्रेस और आरजेडी इस डोर को और कमजोर करने में जुट गई है. आरजेडी विधायक सरबजीत और कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी ने सीएम नीतीश कुमार को आरएसएस की गतिविधियों के जांच के फैसले को सही ठहराते हुए नीतीश कुमार को धन्यावद देकर सियासी गलियारे का पारा चढ़ा दिया है.