झारखंड में मॉनसून मेहरबान, खेतों में लहलहा फसल लेकिन किसान हैं परेशान!
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झारखंड में मॉनसून मेहरबान, खेतों में लहलहा फसल लेकिन किसान हैं परेशान!

झारखंड में इस साल मानसून मेहरबान है. इसकी वजह से खेतों में हरियाली और किसानों भी खुश हैं. लेकिन सबके बीच दोगुनी कीमत पर बिक रहे यूरिया ने किसानों के चेहरे पर शिकन लाकर उनकी चिंता बढ़ा दी है.

 

 यूरिया ने किसानों के चेहरे पर शिकन लाकर उनकी चिंता बढ़ा दी है. (फाइल फोटो)

रांची: झारखंड में इस साल मानसून मेहरबान है. इसकी वजह से खेतों में हरियाली और किसानों भी खुश हैं. लेकिन सबके बीच दोगुनी कीमत पर बिक रहे यूरिया ने किसानों के चेहरे पर शिकन लाकर उनकी चिंता बढ़ा दी है.

दरअसल अच्छी बारिश से रोशनी तो हो गई लेकिन फसल को स्वास्थ्य रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले यूरिया के भाव ने पूरा संतुलन बिगाड़ दिया है. किसानों की माने तो दुकानदार यूरिया के 150 से 200 अधिक तक वसूल रहे हैं जिससे परेशानी बढ़ गई है. 

आलम यह है कि खेत के कुछ हिस्सों में यूरिया का छिड़काव किया गया है तो ज्यादातर हिस्सों में गोबर से ही फसलों को स्वस्थ करने की कोशिश चल रही है. किसानों की माने तो मजबूरन यूरिया को ज्यादा दाम में ले लिया गया है और अधूरा छिड़काव हुआ है. लेकिन उनकी चिंता यह है कि अगर फसल ठीक नहीं रहे तो मर जाएंगे.

यूरिया के असंतुलित दाम ने किसानों के साथ-साथ उसके पूरे परिवार की भी चिंता बढ़ा दी है. किसानों का यह छोटा सा परिवार अशोक साहू का है. जिस घर में 5 सदस्य हैं और इनकी जीविका खेती पर ही आश्रित है. जमीन को स्विच कर यह अपने खेत में धान उगाते हैं जिससे साल भर इनका गुजारा होता है. लेकिन यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग में सबको भविष्य की चिंता करने पर मजबूर कर दिया है.

किसान अशोक साहू के मुताबिक मॉनसून की अच्छी बारिश ने जहां उनकी उम्मीदें बढ़ाई थी तो वही यूरिया और खाद की आसमान छूती कीमतों ने उनके सामने एक परेशानी उत्पन्न कर दी है आलम यह है कि अधूरे खेत में थी यूरिया का छिड़काव हो सका है और अब इनकी खेती भगवान भरोसे हैं

बाहर हाल जिस तरीके से यूरिया की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है उसने कहीं ना कहीं पूरा संतुलन बिगाड़ दिया है और अब किसान अच्छी मॉनसून के बावजूद अच्छे फसल के लिए भगवान पर आश्रित हैं.