बिहार : विदेश में नौकरी के नाम पर युवाओं से ठगी, सैलरी मांगने पर होती थी पिटाई
यह खुलासा उस समय हुआ, जब तारापुर एसडीपीओ रमेश कुमार की पहल बाद विदेश से मुक्त होकर तारापुर पहुंचे युवाओं ने अपनी पीड़ा सुनाई.
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मुंगेर : विदेश में नौकरी के नाम पर बिहार के मुंगेर जिला के युवाओं से ठगी का मामला सामने आया है. एसडीपीओ की पहल पर सभी युवाओं को भारत वापस लाया गया है. वतन लौटे युवाओं का कहना है कि वेतन मांगने पर उनकी पिटाई की जाती थी. एसडीपीओ ने युवाओं को मुक्त कराने के लिए भारतीय दूतावास को पत्र लिखा था. जिले के विभिन्न क्षेत्र से बेरोजगार युवाओं को विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर पहले उनसे लाखों रुपये की ठगी की जाती थी, फिर उन्हें विदेश ले जाकर प्रताड़ित किया जात था. इतना ही नहीं सैलरी मांगने पर उनके साथ जानवरों के जैसा व्यवहार किया जाता था.
यह खुलासा उस समय हुआ, जब तारापुर एसडीपीओ रमेश कुमार की पहल बाद विदेश से मुक्त होकर तारापुर पहुंचे युवाओं ने अपनी पीड़ा सुनाई. तारापुर एसडीपीओ ने जानकारी देते हुए कहा कि तारापुर निवासी अमित कुमार, मुंगेर बनौधा निवासी मोहम्मद फिरोज आलम, मोहम्मद इरफान, मोहम्मद मोहित, बाकरपुर निवासी मोहम्मद तौसीफ और मोहम्मद सरफराज आलम को विदेश भेजने वाले एक एजेंट ने लाखों रुपये वेतन मिलने का लालच देकर मलेशिया भेज दिया.
युवाओं को झांसा दिया गया कि मलेशिया में मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिलेगा. युवाओं को 40 हजार रुपये वेतन देने, रहने खाने की सुविधा के साथ-साथ आठ घंटे ओवरटाइम काम करने पर 70 से 80 हजार रुपये प्रतिमाह तक की आमदनी होने का भरोसा दिलाया. उन्हें कोलकाता के रास्ते मलेशिया भेजा गया. युवाओं का वीजा सिंगापुर का बनाया गया था.
क्वालालमपुर में में उतारकर युवाओं को जिल्लत की जिंदगी जीने को मजबूर किया गया. तारापुर निवासी निवास कुमार की शिकायत पर तारापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई. इसके बाद लगातार दूतावास से पत्राचार किया गया. भारतीय दूतावास ने मामले को गंभीरता से लिया और सभी युवाओं को सकुशल स्वदेश लाया जा सका. इस मामले में युवाओं से ठगी करने वाले एजेंट की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी की जा रही है.
एसडीपीओ कार्यालय कक्ष में पीड़ितों ने बताया कि विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर उनसे एक-एक लाख रुपये की वसूली की गई. मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी का सपना दिखाया गया था. लेकिन, मलेशिया में उनके के साथ जानवर जैसा व्यवहार किया जा रहा था. लगातार कई घंटे काम कराए जाते थे. वहीं, पैसे मांगने पर लोहे की रॉड से पिटाई की जाती थी. साथ ही युवाओं ने कहा कि कोलकाता में मेडिकल कराने के नाम पर भी 5500 रुपए लिए गए.
एजेंट के द्वारा सभी छह युवाओं को दस-दस हजार रुपए दिए गए थे. साथ ही कहा गया था कि मलेशिया पहुंचने पर वहां के एजेंट को पैसे और पासपोर्ट जमा कर देना, जिससे कि नौकरी के लिए उनका कार्ड बनाया जा सके. लेकिन, वहां इन्हें कचरा उठाने, प्लास्टिक गलाने जैसे काम में लगा दिया गया. युवाओं का कहना है कि अब ये कहीं नहीं जाएंगे.
(मुंगेर से प्रशांत की रिपोर्ट)
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